"तुम मुझे भाई मत कहा करो।" एक दिन अमजद खान ने शैला से कहा। शैला और अमजद खान तब पड़ोसी हुआ करते थे। शैला एक स्कूल गोइंग लड़की थी। और अमजद खान कॉलेज में पढ़ते थे। शैला जी की उम्र तब 14 साल ही थी। लेकिन अमजद खान उन पर फिदा हो चुके थे। जबकी शैला को अमजद खान की फीलिंग्स का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था तब। वो तो अमजद के साथ बैडमिंटन खेलने उनके घर आया करती थी। और तब वो अमजद खान को भैया कहती थी। लेकिन चूंकि अमजद खान के मन में शैला के लिए फीलिंग्स डेवलप हो चुकी थी तो एक दिन उन्होंने शैला से कहा कि तुम मुझे भाई मत कहा करो।
एक दिन शैला स्कूल से वापस लौट रही थी। अमजद रास्ते में शैला को मिले। अमजद ने शैला को रोककर उनसे उनके नाम का मतलब पूछा। अमजद ने कहा,"क्या तुम्हें अपने नाम का मतलब पता है?" शैला कोई जवाब दे पाती उससे पहले ही अमजद खान खुद ही बोल पड़े,"शैला उसे कहते हैं जिसकी आंखें डार्क हों।" इसके बाद अमजद खान ने शैला से कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर शैला शरमा गई। अमजद ने शैला से कहा,"तुम जल्दी से बड़ी हो जाओ। मैं तुमसे शादी करूंगा।"
कुछ दिनों बाद अमजद खान ने शैला के घर शादी के लिए अपना रिश्ता भिजवाया। पर चूंकि शैला की उम्र शादी लायक तब नहीं थी तो उनके पिता व नामी कवि व स्क्रीनराइटर अख़्तर-उल-ईमान ने मना कर दिया। फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने शैला को पढ़ने के लिए अलीगढ़ भेज दिया। इस समय तक शैला के मन में भी अमजद खान के लिए फीलिंग्स आ चुकी थी तो वो भी अमजद को पसंद करने लगी थी। शैला अलीगढ़ से अमजद को चिट्ठी लिखा करती थी। और दोनों चिट्ठियों के माध्यम से बातें करने लगे। मगर अलीगढ़ शैला को अधिक रास नहीं आया। वो वहां बीमार पड़ गई। उनके पिता ने उन्हें मुंबई वापस बुला लिया।
पिता ने शैला का दाखिला मुंबई के ही एक स्कूल में करा दिया। स्कूल में शैला का एक सब्जेक्ट फ़ारसी भाषा भी था। इत्तेफ़ाक से अमजद खान ने भी स्कूल में फ़ारसी पढ़ी थी। और उनकी फ़ारसी काफी अच्छी थी। तो शैला फ़ारसी का ट्यूशन लेने अमजद के पास जाने लगी। ये दोनों तो पहले से ही एक-दूजे को चाहते थे। इसलिए इनके लिए ट्यूशन का वो समय गोल्ड टाइम बन गया। दोनों के इश्क से परिवार वाले भी वाकिफ़ हो गए। इसलिए अबकी दफा जब अमजद खान के घर से शैला व अमजद की शादी का रिश्ता आया तो शैला के पिता ने वो रिश्ता स्वीकार कर लिया। और आख़िर-कार साल 1972 में अमजद खान और शैला की शादी हो गई। अमजद और शैला तीन बच्चों, बेटे शादाब खान व सीमाब खान और बेटी अहलाम खान के माता-पिता बने।
आज अमजद खान जी का जन्मदिवस है साथियों। 12 नवंबर 1940 को अमजद खान जी का जन्म हुआ था। हो सकता है आज किस्सा टीवी पर अमजद खान जी के बारे में और कुछ लेख भी आपको दिखें। अगर दिखें तो स्किप मत कीजिएगा। पढ़िएगा ज़रूर। कुछ बढ़िया ही पढ़ने को मिलेगा। अमजद खान बहुत जल्दी दुनिया से विदा हो गए। ना जाते तो शायद और कुछ बढ़िया किरदार निभाते। लेकिन फिर भी, एज़ एन एक्टर अमजद खान ने बॉलीवुड में जो योगदान किया है उसके लिए उन्हें सैल्यूट।