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*तारीख ड्रम ड्रैगन राजस्थान की राजधानी में तैयार की जाती हैं।*
*जयपुर:* प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री जिन स्ट्रिक्ट ड्रिंक ड्रिक्स में बने हैं, उन चित्रा ड्रू ड्रिक्स को जयपुर में बनाया गया है। पिछले कई दशकों से ये जयपुर में तैयार हो रही हैं। खास बात यह है कि एक-47 से राइड वाली गोलियाँ भी इन ड्रामा ड्रू ड्रेक्स का कुछ भी आकर्षक नहीं है।
जयपुर में स्ट्रिक्ट ड्रू ड्रू ग्लास और वॉर शिप ग्लास बनाने वाली कंपनी के कर्ता-धर्ता गुरुवेन्द्रजीत सिंह का कहना है कि हमारी कंपनी जयपुर में स्ट्रिक्ट ड्रू ड्रू ग्लास और वॉर शिप ग्लास बनाने लगी है। हमारी कंपनी के स्ट्रीके ड्रम ग्लास आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हैं और सेना के लिए भी हम स्ट्रीके ड्रू ग्लास तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा पूरी गाड़ी को 360 डिग्री सेल्सियस तक तैयार किया गया है। खास बात यह है कि जिस देश में भी यात्री राज्य कर रहे हैं, मुख्यमंत्री की बात सुरक्षा में ली गई वाली टीचर्स ड्रू की गाड़ी उनकी स्थिति से ही तैयार की जा रही है। इसके अलावा नागालैंड में काम करने वाली स्ट्रीट ड्रू मेकर भी जयपुर में ही बनाई जा रही हैं।
*विदेशों में भी मांग:*
गुरवेंद्रजीत सिंह का कहना है कि भारत के निर्देशक भी साइबेरिया ड्रू ग्लास हमारी कंपनी द्वारा तैयार करके भेजे जा रहे हैं, जिसमें कनाडा, इजराइल, रूस, यूक्रेन शामिल हैं। सोमवार को राजधानी जयपुर में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एंड ज्ञान शक्ति थिंक टैंक वेटर्स इन नेशन बिल्डिंग की ओर से सप्तशती अकादमी एसोसिएशन का आयोजन किया गया। उद्योग मंत्रालय कर्नल राज्यवर्धन सिंह स्टॉकहोम। यहां उन्होंने कहा कि पहले हिंदुस्तान को सिर्फ एक बाजार माना जाता था, लेकिन अब मोदी के नेतृत्व के कारण देश में मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया जा रहा है। इस मशीन की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जहां सेना के लिए उपकरण तैयार किए जा रहे थे।
*वारशिप ग्लास:*
गुरवेंद्रजीत सिंह का कहना है कि हमारी कंपनी अब वॉर्शिप ग्लास भी तैयार कर रही है। ये वॉरशिप ग्लास आपके लिए काफी अनोखे हैं। उन्होंने बताया कि पानी में चलने वाले युद्धपोत के लिए अलग-अलग उपकरणों की आवश्यकता होती है। ऐसे में हमारी कंपनी इन शिप के लिए वॉरशिप ग्लास तैयार कर रही है। इस ग्लास की खासियत यह है कि इसके कारण से रिलाइसेंस जहाज का पता नहीं लगाया जा सका।
*गैप दूर करने की किश्त:*
सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मंजिंदर सिंह ने बताया कि उद्योग और सेना के बीच कहीं भी दूरी तय करने में एक गैप लगेगा। इससे सेना के प्रमुखों के अनुसार उपकरण और उत्पाद तैयार हो जाते हैं। प्रधानमंत्री के विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए दिग्गजों, विद्वानों, शिक्षाविदों और उद्योग के हितों को बढ़ावा देना और समन्वित करना चाहते हैं। सप्त शक्ति कमांड की ओर से सांस्कृतिक समागम को बढ़ावा देने और रक्षा संबंधी चर्चाओं, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा और विशिष्ट दृष्टि के निर्माण के लिए दिग्गजों को एक समग्र मंच प्रदान करने की पहली पहल की गई है।