फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया अनु मलिक की कहानी यूं तो किसी भी ऐसे कलाकार की कहानी जैसी ही है जिसने कड़े संघर्षों से लड़कर अपना एक मुकाम हासिल किया हो। लेकिन एक थोड़ा सा फर्क जो अनु मलिक को दूसरों से अलग करता है वो ये कि अनु मलिक का करियर किसी रोलर कोस्टर राइड के जैसा रहा है। वो कभी सफलता का शिखर छूते हैं तो कभी असफलताओं की खाई में गिर जाते हैं। फिर ज़बरदस्त वापसी करते हैं और दोबारा से काम पाने की जद्दोजहद में फंस जाते हैं।
आज किस्सा टीवी आपको अनु मलिक की वो कुछ अनसुनी कहानियां बताएगा जो हमें लगता है कि लोगों को ज़रूर पता होनी चाहिए। क्योंकि आमतौर पर लोग ऐसी कहानियों के बारे में कम ही देख और पढ़ पाते हैं। जबकी किसी कलाकार की ये अनसुनी कहानियां उस कलाकार को करीब से जानने का एक बढ़िया ज़रिया होती है। आज अनु मलिक का जन्मदिन भी तो है। 2 नवंबर 1960 को मुंबई में अनु मलिक जी का जन्म हुआ था। किस्सा टीवी की तरफ से अनु मलिक को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाईयां। इस लेख के आखिर में अनु मलिक के संघर्ष से सफलता हासिल करने के सफर की कहानी का लिंक भी मिलेगा। वो भी पढ़िएगा। पसंद आएगी इनकी वो कहानी भी।
पहली कहानी
अनु मलिक की उम्र 16-17 ही हुई थी जब इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एज़ ए म्यूज़िक डायरेक्टर काम पाने के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया। उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, कल्याण जी-आनंद जी और आरडी बर्मन जैसे कई बड़े नाम राज कर रहे थे।
अनु मलिक रोज़ अपना हारमोनियम लेकर मुंबई की तारदेव एयर कंडीशन मार्केट पहुंच जाया करते थे। उस मार्केट के पास एक बिल्डिंग थी जिसमें उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री के कई नामी प्रोड्यूसर्स और डिस्ट्रिब्यूटर्स रहा करते थे। अनु ने कई दफा कोशिश की कि वो वहां किसी बड़े प्रोड्यूसर से मिल सकें।
लेकिन उस बिल्डिंग में इनको जाने ही नहीं दिया जाता था। आखिरकार अनु मलिक ने उस बिल्डिंग के बाहर पाव भाजी की दुकान लगाने वाले एक आदमी से दोस्ती कर ली और उसकी दुकान के आस-पास खड़े रहते। इस उम्मीद में कि किसी ना किसी दिन तो कोई बड़ा प्रोड्यूसर यहां पाव भाजी खाने ज़रूर आएगा।
खाली वक्त में अनु मलिक उस पाव भाजी वाले को ही अपनी धुनें सुनाते रहते थे। पाव भाजी की दुकान पर अनु मलिक से कई प्रोड्यूसर्स टकराए भी। अनु मलिक ने उन्हें अपनी धुनें सुनाने की कई कोशिशें भी की। लेकिन वहां किसी ने भी अनु मलिक को भाव नहीं दिया।
दूसरी कहानी
अनु मलिक ने फिल्मो में बेहतरीन म्यूज़िक तो दिया ही है। साथ ही उन्होंने कई फिल्मों में गाने भी गाए हैं। अनु मलिक के गाए कई गाने लोगों की ज़ुबान पर चढ़ चुके हैं। और आज भी उन गीतों को लोग अक्सर गुनगुनाने लगते हैं। लेकिन अनु मलिक गायक बने कैसे? अनु मलिक के गायक बनने की कहानी आपको बड़ी पसंद आएगी।
ये कहानी जुड़ी है साल 1987 में आई 'जीते हैं शान से' नाम की फिल्म से। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, संजय दत्त और गोविंदा ने काम किया था। इस फिल्म का गीत जूली जूली बहुत लोकप्रिय हुआ था। डायरेक्टर कंवल शर्मा ने पहले ये गाना किशोर दा से रिकॉर्ड कराने की प्लानिंग की थी। लेकिन किशोर दा इस गाने को रिकॉर्ड करने आ नहीं सके।
फिर ये गाना किशोर दा के बेटे अमित कुमार से रिकॉर्ड कराने की योजना बनाई गई। लेकिन अमित कुमार भी स्टूडियो नहीं पहुंच पाए। रिकॉर्डिंग में हो रही देरी की वजह से मिथुन दा इस गाने की शूटिंग नहीं कर पा रहे थे। शूटिंग करने के लिए मिथुन दा ने डायरेक्टर कंवल शर्मा से कहा कि इस गाने को किसी से ऐसे ही रफ रिकॉर्ड करा लो। ताकि कम से कम शूटिंग कंप्लीट हो सके।
तब फिल्म का म्यूज़िक दे रहे अनु मलिक ने ही कविता कृष्णमूर्ति के साथ ये गाना रिकॉर्ड कर दिया। ये सोचकर कि जब किशोर दा या अमित कुमार आ जाएंगे तो उनसे फाइनल रिकॉर्डिंग करा ली जाएगी। फिर जब मिथुन दा ने अनु मलिक का गाया जूली जूली सॉन्ग सुना तो वो दंग रह गए।
अनु मलिक की गायकी का अंदाज़ मिथुन दा को बहुत पसंद आया। मिथुन दा ने डायरेक्टर कंवल शर्मा से कहा कि अब ये गाना फिल्म में ऐसे ही रहने दो। अनु मलिक ने ये गाना बहुत बढ़िया गाया है। और बस यहीं से अनु मलिक का गायकी का सफर भी शुरू हो गया।
तीसरी कहानी
अनु मलिक के करियर की शुरुआती पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म थी मनमोहन देसाई की मर्द। इस फिल्म में पहली दफा अनु मलिक को अमिताभ बच्चन के लिए म्यूज़िक तैयार करने का मौका मिला था। अनु मलिक इस मौके का भरपूर फायदा उठाने की तैयारी कर चुके थे। इसलिए वो हर कदम फूंक-फूंककर रख रहे थे।
मर्द के डायरेक्टर मनमोहन देसाई चाहते थे कि फिल्म का टाइटल ट्रैक मर्द तांगे वाला मैं हूं मर्द तांगे वाला किसी ऐसे गायक से गवाया जाए जिसकी आवाज़ मोहम्मद रफी साहब से मिलती हो। उन्होंने अनु मलिक से कहा कि वो किसी ऐसे गायक को तलाशें जो रफी साहब के अंदाज़ में गा सके। उस ज़माने में अनु मलिक के दिमाग में मुन्ना का ख्याल आया।
मुन्ना यानि बेहद शानदार गायक मोहम्मद अज़ीज़ साहब। उस वक्त मोहम्मद अज़ीज़ साहब भी काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अनु मलिक मोहम्मद अज़ीज़ को ढूंढने गोरेगांव आए। हालांकि उन्हें नहीं पता था कि अज़ीज़ साहब गोरेगांव में कहां रहते हैं। कई घंटों तक अनु मलिक ने मोहम्मद अज़ीज़ को ढूंढा। फाइनली उन्हें मोहम्मद अज़ीज़ मिल गए और वो अज़ीज़ साहब को लेकर स्टूडियो आ गए।
वहां मनमोहन देसाई के सामने अनु मलिक ने मोहम्मद अज़ीज़ साहब से मर्द तांगे वाला गीत गवाया। मनमोहन देसाई जी को मोहम्मद अज़ीज़ की गायकी बहुत पसंद आई और उन्होंने अनु मलिक से कहा कि ये गाना इसी से रिकॉर्ड कराया जाए। और इस तरह अनु मलिक ने बॉलीवुड को दिया एक बेहद शानदार गायक जिसे हम मोहम्मद अज़ीज़ के नाम से जानते हैं। मोहम्मद अज़ीज़ साहब अब दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनकी कहानी और उनके गीत हमेशा उन्हें उनके चाहने वालों के दिलों में ज़िंदा रखेंगे।
चौथी कहानी
अनु मलिक वो शख्स हैं जिनके अंदर देश प्रेम की भावना कूट-कूटकर भरी है। यही वजह है कि उन्होंने कई देशभक्ति गीत भी बनाए हैं। लेकिन उनकी कालजयी रचना है बॉर्डर फिल्म का गीत संदेशे आते हैं। ये गीत भारतीय सेना को समर्पति अनु मलिक की एक ऐसी रचना है जो हर भारत वासी को अपनी सेना के जवानों का आदर और सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है।
अनु मलिक के ये गीत बनाने की कहानी भी कोई कम दिलचस्प नहीं है। बॉर्डर के डायरेक्टर जेपी दत्ता ने जिस वक्त अनु मलिक को इस फिल्म के लिए साइन किया था उस वक्त अनु मलिक को अपनी किस्मत पर बड़ा नाज़ हुआ। जेपी दत्ता जैसे नामी डायरेक्टर ने अनु मलिक को उनके पसंदीदा विषय पर संगीत बनाने की ज़िम्मेदारी दी तो वो बहुत खुश हुए। अनु मलिक ने जावेद साहब के साथ मिलकर बॉर्डर फिल्म के गीत लिखने शुरू कर दिए। जावेद अख्तर और अनु मलिक एक कमरे में बैठकर घंटों तक बॉर्डर फिल्म के लिए गीत लिखते रहते थे। एक दिन अनु मलिक को जेपी दत्त्ता ने भारतीय सेना के जवानों की कुछ तस्वीरें दिखाई।
उस तस्वीर में सेना का एक जवान कश्मीर की बर्फ में गले तक धंसा था। लेकिन फिर भी वो जवान पूुरी तरह मुस्तैद था। एक दूसरी तस्वीर में उसी जवान की पत्नी और मां थे जो उसके आने का इंतज़ार कर रहे थे। सेना के जवानों की इन्हीं तस्वीरों ने अनु मलिक को संदेशे आते हैं हमें तड़पाते हैं गीत लिखने के लिए प्रेरित किया। अनु मलिक ने हारमोनियम पर इस गीत का एक हिस्सा, ऐ गुज़रने वाली हवा बता, मेरा इतना काम करेगी क्या गुनगुनाया तो जावेद अख्तर को ये लाइन बड़ी पसंद आई। और इसी लाइन पर जावेद साहब ने संदेशे आते हैं हमें तड़पाते हैं गीत लिख दिया।
पांचवी कहानी
अनु मलिक के करियर की बात हो और उनके गाए गीत एक गरम चाय की प्याली हो का ज़िक्र ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। ये गाना आज भी लोग गुनगुनाते दिख जाते हैं। अनु मलिक ने ये गाना कैसे बनाया इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उन दिनों अनु मलिक का शेड्यूल काफी बिज़ी चल रहा था। एक गाने की रिकॉर्डिंग करने के बाद अनु मलिक सुबह लगभग 4 बजे अपने घर पहुंचे थे।
घर पहुंचकर अनु मलिक ने अपनी पत्नी अंजू को बताया कि मुझे सुबह सात बजे फिर से एक रिकॉर्डिंग पर जाना है। इसलिए मुझे सुबह छह बजे जगा देना। अनु मलिक सुबह लगभग पांच बजे सो गए। फिर सुबह छह बजे अनु मलिक की पत्नी अंजू मलिक उनके लिए एक कप चाय लेकर आई। उन्होंने अनु मलिक को जगाने की बजाय उनके कान के पास चाय के कप में चम्मच घुमाना शुरू कर दिया।
चम्मच की आवाज़ से अनु मलिक की नींद टूटी तो अंजू ने उन्हें बताया कि तुम्हारे जागने का वक्त हो चुका है। अनु मलिक की आंखें तो खुल गई लेकिन चम्मच की आवाज़ सुनकर उनके दिमाग में कुछ लाइनें आने लगी। वो अपनी पत्नी को देखकर गुनगुनाने लगे, एक गरम चाय की प्याली हो कोई उसको पिलाने वाली हो। फिर अनु मलिक जब फ्रेश होने बाथरूम गए तो वहां भी उनके दिमाग में ये लाइनें चलने लगी। उसके बाद अनु मलिक जब अपनी कार से स्टूडियो के लिए निकले तो उन्होंने कार में ही अपने वो लाइनें कंप्लीट की और उन्हें कैसेट में रिकॉर्ड किया।
फिर स्टूडियो पहुंचकर अनु मलिक ने अपने प्रोड्यूसर साजिद नाडियाडवाला को फोन करके वो लाइनें सुनाई। साजिद नाडियाडवाला को वो लाइनें बड़ी पसंद आई। उन्होंने अनु मलिक को सलाह दी कि फटाफट ये गाना तैयार करो। हम ये गाना सलमान पर शूट करेंगे। और इस तरह अनु मलिक का पॉप्युलर सॉन्ग एक गरम चाय की प्याली हो अस्तित्व में आया।
छठी कहानी
अनु मलिक की लव स्टोरी की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। अनु की वाइफ अंजू उनके साथ ही मीठीबाई कॉलेज में पढ़ा करती थी। जिस दिन अनु पहली दफा कॉलेज गए थे उसी दिन वो अंजू को दिल दे बैठे थे। हालांकि अंजू उन्हें उस वक्त ज़रा भी पसंद नहीं करती थी। अनु जब भी अंजू से बात करने की कोशिश करते थे अंजू उन्हें झिड़क दिया करती थी।
एक दिन तो अंजू ने कॉलेज के प्रिंसिपल से अनु की शिकायत कर दी। प्रिंसिपल ने अनु की बढ़िया क्लास लगाई। अनु मलिक इस घटना से इतने दुखी हुए कि वो कुछ दिन तक कॉलेज गए ही नहीं। वो खंडाला पहुंच गए। उन दिनों खंडाला में बारिश हो रही थी। उस बारिश में ही अनु मलिक ने अंजू को याद करते हुए अपना एक गाना देखो बारिश हो रही है लिखा था।
खंडाला से जब अनु मलिक वापस लौटे और अपने कॉलेज गए तो वहां अंजू उनका इंतज़ार कर रही थी। अंजू ने अनु को देखते ही पूछा,"कहां थे तुम?" अनु मलिक को पता चल गया कि अब अंजू के दिल में भी उनके लिए सॉफ्ट कॉर्नर बन चुका है। उसी के बाद अनु और अंजू का इश्क शुरू हो गया जो आखिरकार एक सक्सेसफुल शादी में कनवर्ट हुआ। हालांकि इनकी शादी के वक्त अंजू के माता-पिता बहुत ज़्यादा खुश नहीं थे। और वो इसलिए क्योंकि अनु मलिक एक मुस्लिम परिवार से हैं।
जबकी अंजू एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार की बेटी हैं। मगर शादी के बाद जब अनु और अंजू दो बेटियों के माता-पिता बने तो हर किसी की नाराज़गी खत्म हो गई। अनु और अंजू की दो बेटियां अनमोल और अदा हैं। आज अनमोल एक नामी लेखिका हैं और अदा एक फैशन डिज़ाइनर हैं।
सातवीं कहानी
अनु मलिक के करियर की शुरुआती शानदार फिल्मों में से एक थी सोहनी महिवाल जो कि साल 1984 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में अनु मलिक के संगीत को बहुत सराहा गया था। और ये फिल्म अनु मलिक को मिली कैसे, ये जानना भी बड़ा दिलचस्प है। दरअसल, अनु मलिक को जब पता चला कि उनके दोस्त राजीव मेहरा के बड़े भाई उमेश मेहरा सोहनी महिवाल बना रहे हैं।
तो उन्होंने तय किया कि चाहे कैसे भी हो। लेकिन इस फिल्म का म्यूज़िक मैं ही बनाऊंगा। अनु ने उमेश मेहरा से मिलने की कोशिशें शुरू कर दी। वो कई दिनों तक उमेश मेहरा से मिलने का इंतज़ार करते रहे। लेकिन चूंकि उमेश मेहरा उन दिनों एक दूसरी फिल्म में बिज़ी थे तो उन्होंने अनु मलिक से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
आखिरकार एक दिन अनु मलिक महबूब स्टूडियो पहुंच गए जहां उमेश मेहरा अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। अनु मलिक बाथरूम के बाहर खड़े हो गए। फिर जब उमेश मेहरा बाथरूम आए तो अनु मलिक भी उनके पीछे-पीछे बाथरूम में घुस गए। वहां अनु मलिक ने अपना इंट्रोडक्शन उमेश मेहरा को दिया और कहा कि मैं आपको सोहनी महिवाल के लिए कुछ लाइनें सुनाना चाहता हूं।
पहले तो उमेश मेहरा हैरान हुए। लेकिन फिर वो अनु की वो लाइनें सुनने को तैयार हो गए। और जब अनु मलिक ने वो लाइनें सुनाई तो उमेश मेहरा दंग रह गए। उन्हें अनु मलिक की वो लाइनें बड़ी पसंद आई। वो अनु मलिक का हाथ पकड़कर सीधे उन्हें महान गीतकार आनंद बक्षी जी के पास ले गए और उन्हें अनु मलिक से मिलवाया। आनंद बक्षी ने अनु मलिक की वो लाइनें सुनी और सलाह दी कि इनमें ये दो लाइनें भी एड करो, रब मुझे माफ करे। मेरा इंसाफ करे। यानि उस दिन बाथरूम में अनु मलिक ने उमेश मेहरा को जो लाइनें सुनाई थी वो सोहनी महिवाल फिल्म के टाइटल सॉन्ग की लाइनें थी।
इस तरह अनु मलिक को सोहनी महिवाल फिल्म मिल गई और बॉलीवुड में उनकी गाड़ी चल निकली। उस दिन उमेश मेहरा अनु मलिक को अपने साथ एक शॉप पर भी ले गए थे और वहां उन्होंने अनु मलिक को एक चिकन सैंडविच खिलाया। साथ ही ये भी कहा कि अनु, ये चिकन सैंडविच सोहनी महिवाल के लिए तुम्हारा साइनिंग अमाउंट है। बाकी पैसे तुम्हें बाद में मिल जाएंगे।
तो साथियों, ये तो हुई अनु मलिक साहब की कुछ वो बातें जो हर किसी को पता नहीं हैं। उम्मीद है आपको इस लेख के ज़रिए अनु मलिक जी के बारे में कुछ नया जानने को मिला होगा। इनके बारे में औऱ कुछ जानना हो, जैसे ये संगीत की दुनिया में कैसे आए? संघर्ष की डगर पर किन-किन चुनौतियों का सामना अनु मलिक को करना पड़ा? और पहली सफलता अनु मलिक को कैसे मिली थी? ये सारी जानकारियां आपको इस लेख में मिलेंगी- पढ़िएगा इसे भी। बहुत पसंद आएगी अनु मलिक की ये कहानी भी आपको। अनु मलिक को जन्मदिन की शुभकामनाएं।
