दीपावली 👍की तिथि पर विवाद अब शास्त्रार्थ तक पहुंच चुका है। काशी विद्वत परिषद ने राममंदिर और काशी विश्वनाथ धाम का मुहूर्त देने वाले गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ को शास्त्रार्थ की चुनौती दी है। काशी विद्वत परिषद ने कहा कि दीपावली की तिथि पर बेवजह का भ्रम फैलाया जा रहा है। 31 अक्तूबर को ही दीपावली मनाना शास्त्र के अनुसार सही है ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी 31 अक्तूबर को दीपावली मनाने को सही ठहराया है। काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी व महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि अगर किसी विद्वान को इस पर आपत्ति है तो वह 29 अक्तूबर को शास्त्रार्थ कर सकता है। इसके लिए उन्होंने नगवां स्थित काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष के आवास पर उनको आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि वह आकर अपना पक्ष रखें यदि उनका पक्ष सही रहा तो हमें स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होगी। परंतु यदि काशी विद्वत परिषद का पक्ष सिद्ध होता है तो हम उनसे निवेदन करेंगे कि वे इस तरह के भ्रामक वक्तव्य न दें। इससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।
मंत्री प्रो. विनय पांडेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय व उपाध्यक्ष प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय ने बताया कि स्विस अफमेरीज पर आधारित आधुनिक पक्ष की वैधता का निरस्तीकरण पहले ही धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज कर चुके हैं। हमारे पंचांग पारंपरिक मत से प्रकाशित होते हैं। प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि धर्मसिंधु के अनुसार दीपावली के समय दोनों दिन अमावस्या की प्रदोषव्याप्ति होने पर अमावस्या तिथि का मान 66 घटी के ऊपर जाएगा। दोनों दिन के प्रदोष काल में अमावस्या की उपस्थिति मात्र स्वीकार किया जाए तो भी इस वर्ष 31 अक्तूबर को ही दीपावली मनाना शास्त्रोचित होगा। यदि अमावस्या दूसरे दिन अस्त या अस्तकाल के बाद आरंभ होकर दूसरे दिन सूर्यास्त के बाद तीन घटी 45 पल के अनंतर भी एक घटी तक रहती है तो ही दूसरे दिन दीपावली मनाया जाना शास्त्र उचित होगा। परंतु देश के किसी भी भाग में यह लक्षण घटित नहीं हो रहा है।
अपने-अपने पंचांग के अनुसार करें लक्ष्मीपूजन
श्री वल्लभराम शालिग्राम साङ्गवेद विद्यालय के पं. विशेश्वर शास्त्री द्राविड़ का कहना है कि श्री गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र के मूर्धन्य ग्रन्थों से प्रमाणवचनों के आधार पर अपना निर्णय दिया है। धर्मसिन्धुवचन के अनुसार जिस पंचांग में सूर्यास्त के बाद एक घटी (24 मिनट) तक अमावस्या है, उस पंचांग के अनुसार एक नवंबर को दीपावली लक्ष्मीपूजन होगा। हृषिकेश पंचांग के अनुसार चलने वालों को 31 अक्तूबर को लक्ष्मीपूजन करना पड़ेगा। निष्कर्ष यह है कि लक्ष्मीपूजन सूर्यास्त होते ही प्रदोषकाल में करने का विधान है, जिसके लिए सूर्यास्त के बाद एक घटी (24 मिनट) तक अमावस्या का रहना आवश्यक है। अपने-अपने (शहर व ग्राम) में हो रहे सूर्यास्त का समय देखकर सूर्यास्त के बाद 24 मिनट अमावस्या रहने पर 1 नवंबर शुक्रवार को लक्ष्मीपूजन करे और 24 मिनट से कम अमावस्या मिलने पर 31 अक्तूबर को लक्ष्मीपूजन करें। काशी के तीन प्रमुख पंचांगों में से गणेशआपा पंचांग एवं श्रीमद्बापूदेवशास्त्रिप्रवर्तितदृक्सिध्द पंचांग के अनुसार एक नवंबर को काशी में दीपावली लक्ष्मीपूजन निर्विवाद है। प्रमाण के आधार पर किए गए निर्णय के अनुसार अपने-अपने पंचांग से प्राप्त समय में लक्ष्मीपूजन करें।