नाम की वजह से कई लोग असरानी को गुजरात का रहने वाला सिंधी मानते हैं। असरानी सिंधी हैं ये बात तो एकदम सच है। लेकिन असरानी गुजरात के नहीं, बल्कि राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं।
1947 में भारत के बंटवारे के बाद असरानी के पिता जयपुर आकर बस गए थे और यहां उन्होंने कार्पेट की एक दुकान खोल ली थी। असरानी की चार बहनें और तीन भाई भी हैं।
दो भाई इनसे बड़े हैं और एक भाई इनसे छोटा है। शुरू से ही असरानी को अपने पिता के बिजनेस में कोई दिलचस्पी नहीं रही। इसलिए वो ठान चुके थे कि वो कुछ और काम करेंगे। ना कि अपने पिता की दुकान संभालेंगे।
दूसरी कहानी
कॉलेज के दिनों में असरानी आकाशवाणी पर वॉइस ऑवर आर्टिस्ट की हैसियत से काम करने लगे थे। यहीं से इनकी रूचि अभिनय और थिएटर में जगी थी। साठ के दशक की शुरुआत में अपने शहर जयपुर के एक थिएटर ग्रुप के साथ जुड़कर असरानी ने एक्टिंग का ककहरा सीखना शुरू किया।
उसके बाद साल 1963 में असरानी फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने मुंबई आ गए और दिग्गज डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी से मिले। ऋषिकेश मुखर्जी ने असरानी को सलाह दी कि अगर एक्टर ही बनना चाहते हो तो पहले ढंग से एक्टिंग की ट्रेनिंग ले लो। उनकी सलाह पर असरानी ने पुणे के फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया।
सन 1966 में पुणे में अपना एक्टिंग कोर्स पूरा करने के बाद असरानी मुंबई वापस गए और पहली दफा इन्होंने एक गुजराती फिल्म में काम किया। और फिर साल 1969 में आई हरे कांच की चूड़ियां नाम की फिल्म से हिंदी फिल्मों में भी इनकी शुरुआत हो गई।
तीसरी कहानी
अपने फिल्मी करियर में असरानी ने हर बड़े स्टार के साथ काम किया है। लेकिन सबसे ज़्यादा असरानी नज़र आए थे काका राजेश खन्ना के साथ। राजेश खन्ना के साथ असरानी ने 25 फिल्मों में काम किया था। साथ एक्टिंग करने का असरानी व राजेश खन्ना का सफर शुरु हुआ था बावर्ची फिल्म से।
इसके बाद नमक हराम फिल्म की शूटिंग के दौरान राजेश खन्ना और असरानी की दोस्ती और ज़्यादा गहरी हो गई। साल 1991 में आई फिल्म घर परिवार आखिरी फिल्म थी जिसमें राजेश खन्ना और असरानी साथ नज़र आए थे।
चौथी कहानी
कहा जाता है कि राज कपूर साहब और असरानी जी के संबंध कभी बढ़िया नहीं रहे थे। और इसकी वजह थी राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर का पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला ना होना। दरअसल, जब ऋषि कपूर ने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए आवेदन किया तो उस वक्त असरानी जी उस इंस्टीट्यूट के इंस्ट्रक्टर की हैसियत से भी काम कर रहे थे।
असरानी जी को जब पता चला कि ऋषि कपूर ने मैट्रिक भी पूरा नहीं किया है तो उन्होंने ऋषि कपूर को दाखिला देने से इन्कार कर दिया। इस वजह से राज कपूर साहब असरानी को पसंद नहीं करते थे। हालांकि सालों बाद राज कपूर साहब ने अपनी एक फिल्म में असरानी को एक रोल ऑफर किया था। लेकिन असरानी ने बदले में इतने ज़्यादा पैसे मांगे कि राज कपूर ने अपना इरादा बदल दिया।
पांचवी कहानी
यूं तो असरानी ने कॉलेज के दिनों में एक्टिंग में दिलचस्पी लेनी शुरू की थी। लेकिन एक इंटरव्यू में असरानी ने खुद बताया था कि जब वो तीसरी क्लास में थे तो उनके स्कूल में सम्राट चंद्रगुप्त नाम का एक नाटक हुआ था।
उस नाटक में इनका जिगरी दोस्त भी हिस्सा ले रहा था। इनके उस दोस्त को काफी प्रशंसाएं और तालियां मिल रही थी। ये देखकर नन्हे असरानी को लगा कि काश उनके लिए भी लोग ऐसे ही तालियां बजाते और ऐसे ही उनकी भी तारीफें करते।
उस नाटक के बाद स्कूल में जब भी इस तरह की कोई एक्टिविटी होती तो असरानी उसमें हिस्सा ज़रूर लेते थे। यानि कहना चाहिए कि वक्त ने छोटी उम्र में ही असरानी को एक्टिंग जगत का हिस्सा बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी।
छठी कहानी
स्कूल के दिनों से ही असरानी को मैथ्स से बड़ी नफरत होती थी। मैथ्स उन्हें समझ में नहीं आती थी। इस वजह से वो मैथ्स को ज़रा भी पसंद नहीं करते थे। लेकिन असरानी के पिता चाहते थे कि उनका बेटा मैथ्स अच्छी तरह से पढ़ ले।
ताकि आगे चलकर वो या तो कोई अच्छी सी सरकारी नौकरी करे। नहीं तो कम से कम खानदानी बिजनेस में हिसाब-किताब को संभाल ले। असरानी के पिता और भाईयों को जब पता चला कि ये तो एक्टर बनने का ख्वाब देखते हैं तो वो इन पर बहुत ज़्यादा हंसे थे।
सातवीं कहानी
असरानी ने जब FTII पूना में दाखिले के लिए आवेदन किया था तो उन्होंने डायरेक्शन और एक्टिंग दोनों कोर्स के लिए अप्लाय किया था। और इत्तेफाक से दोनों में ही उनका नंबर भी आ गया था। पर चूंकि बचपन से ही असरानी को एक्टिंग पसंद थी तो उन्होंने एक्टिंग में दाखिला लिया।
FTII में ही पहली दफा असरानी को पता चला था कि कैरेक्टर एक्टिंग नाम की भी कोई चीज़ होती है। इसी वक्त पर असरानी को अहसास हुआ था कि वो फिल्मों में बढ़िया कॉमेडी कर सकते हैं। हालांकि करियर की शुरुआत में असरानी ने कुछ गुजराती फिल्मों में बतौर हीरो भी काम किया था।
आठवीं कहानी
FTII में पढ़ाई के दिनों का अपना एक किस्सा शेयर करते हुए एक दफा असरानी ने बताया था कि वो ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि हीरो बनने की काबिलियत उनके पास नहीं है। इसलिए इन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वो कभी किसी हीरो की तरह हिरोइन के साथ रोमांस करेंगे।
लेकिन FTII में एक एक्टिंग वर्कशॉप में बिमल रॉय की फिल्म सुजाता के एक सीन को रिक्रिएट किया गया। उस सीन में हीरो को हिरोइन के साथ रोमांस करना था। इनके टीचर ने उस सीन के लिए इन्हें सिलेक्ट किया। ये काफी नर्वस हुए. इन्होंने जैसे-तैसे वो सीन कर तो दिया।
लेकिन उस दिन इनके बैचमेट्स ने इनका काफी मज़ाक बनाया था। वो सीन करते हुए असरानी को लग रहा था जैसे वो क्या बेवकूफी कर रहे हैं। असरानी ने कहा था कि वो सीन इनके दिल से ही नहीं हो रहा था। इसलिए बहुत ज़्यादा बुरा हुआ था।