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चुनावी ड्यूटी से लौट रहे CRPF के जांबाजों के साथ स्पेशल ट्रेन में हुआ भद्दा मजाक
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    11 Oct 2024 18:46 PM



फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया। देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ', जिसके जवानों की संख्या लगभग 3.25 तीन लाख है, वे विभिन्न प्रदेशों में चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराते हैं। इस दौरान जवानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खास बात ये है कि सीआरपीएफ जवान छोटी मोटी समस्याओं पर आसानी से बोलते भी नहीं हैं, लेकिन जब बात पेट की आती है तो उन्हें सामने आना पड़ता है। जवानों को जहां कहीं भी चुनावी ड्यूटी के लिए भेजा जाता है, वहां कई बार मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं कराई जाती। ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं। जम्मू कश्मीर के सांबा से चली स्पेशल ट्रेन 00328 का है। इसमें सीआरपीएफ की 10 कंपनियां, (लगभग 700 सौ जवान) सवार थीं। रायपुर जा रही गाड़ी में जवानों को 48 घंटे तक डिनर मुहैया नहीं कराया गया। जवानों ने केवल दो वक्त के ब्रेक फास्ट में ही काम चलाया। उनके साथ रेलवे की खानपान एजेंसी की तरफ से भद्दा मजाक किया गया। अगले स्टेशन पर मिलेगा खाना, ये कह कर उन्हें भूखे पेट यात्रा करने के लिए मजबूर किया जाता रहा। सीआरपीएफ जवानों को ला रही यह स्पेशन ट्रेन गुरुवार को दोपहर बाद रायपुर पहुंची है। 

 इस स्पेशल ट्रेन को सात अक्तूबर को सांबा से चलना था। किन्हीं कारणों से यह गाड़ी लेट हो गई। इसके बाद 8 अक्तूबर को सुबह तीन बजे ये गाड़ी रायपुर के लिए रवाना हुई। सांबा से चलने के बाद जवानों को अंबाला स्टेशन पर ब्रेकफास्ट मुहैया कराया गया। इसके बाद उन्हें पूरा दिन कुछ नहीं मिला। उन्हें बताया गया कि दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लंच मिलेगा। गाड़ी शाम को आठ बजे पहुंची, ऐसे में लंच का समय तो निकल गया। दिल्ली में उन्हें जो खाना देने का प्रयास हुआ, उसकी क्वालिटी बहुत घटिया थी। जवानों के मुताबिक, वह खाना सुबह का बना हुआ था। ऐसे में जवानों ने खाना लेने से मना कर दिया। पहले भी इस तरह के मामले आए हैं कि रेलवे एजेंसी के लोग ऐसी स्थिति में बल के अफसरों को बढ़िया खाना खिलाकर अपने पक्ष में करने का प्रयास करते हैं। उन्हें मिठाई आदि का भी लोभ लालच देते हैं। ये सब इसलिए किया जाता है कि यह मामला आगे न बढ़े। अफसर, अपने जवानों को डरा धमका कर शांत कर दें। ट्रेन में मौजूद सीआरपीएफ अधिकारियों के साथ भी यही सब करने का प्रयास हुआ। चूंकि यहां पर बात जवानों की थी तो अफसरों ने उन्हें दो टूक शब्दों में कह दिया कि जवानों को समय पर और बढ़िया क्वालिटी वाला खाना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो मामले की शिकायत भी होगी। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर संबंधित एजेंसी के कर्मचारियों से फ्रेश खाना मुहैया कराने का आग्रह किया गया। रेलवे की तरफ से जवाब दिया गया कि ये संभव नहीं है। हमने अपने उच्च अधिकारियों से बात कर ली है कि अब आपको आगरा में बढ़िया खाना मिलेगा। उन्होंने फोन नम्बर भी दिया। 
 
इसके बाद भूखे पेट ही जवान आगे चल पड़े। आगरा में खाना मुहैया कराने के लिए जिस व्यक्ति का फोन, सीआरपीएफ अफसरों को दिया गया था, वह फोन ही नहीं मिल सका। कई बार फोन ट्राई किया गया। 9 अक्तूबर को  झांसी में ब्रेकफास्ट दिया गया। लंच और डिनर का अंदाजा लगा सकते हैं। तब तक सीआरपीएफ जवानों को भूखे पेट रहना पड़ा। इसके बाद रात को कटनी 'मध्यप्रदेश' में रात 12 बजे डिनर मिला। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में जब भी रेलवे एजेंसी के किसी अधिकारी/ठेकेदार से बातचीत की जाती तो वे पल्ला झाड़ लेते। एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने लगते। वे कहते कि आप आगे बात कर लें। ट्रेन लेट है, इसलिए अब तो खाना नहीं मिल पाएगा। अब कोई शेड्यूल नहीं है। रेल में लंच और डिनर तो शेड्यूल पर ही मिलता है। जवानों को अब अगले दिन की चिंता थी। जब डिनर दिया गया तो उन्होंने पैक लंच भी देने की बात कही। इसके लिए संबंधित एजेंसी ने जवानों को मना कर दिया। सूत्रों का कहना है कि इस तरह के मामलों में खुद का विभाग भी कोई खास कार्रवाई नहीं करता। जवानों के खाने से जुड़े मामले को टरकाने का प्रयास किया जाता है। सीआरपीएफ अधिकारियों ने इस मामले को अपने विभाग तक पहुंचाने का प्रयास किया था। अगर बल के कैडर अधिकारी इस तरह के मामलों की शिकायत करते हैं तो संबंधित फोर्स के शीर्ष अफसर उन्हीं के खिलाफ ही कार्रवाई कर देते हैं। 


पिछले दिनों सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने जेएंडके में चुनावी ड्यूटी के लिए गई पुलिस/फोर्स के जवानों की परेशानी से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला था। उसमें जवान कह रहे हैं कि उन्हें एक ऐसी जगह पर ठहराया गया है, जहां बिजली तक की व्यवस्था नहीं है। पीने का पानी नहीं है। कुछ जवानों को खुले में ही बैठा दिया गया। जवानों का कहना था कि वे दो दिन से वर्दी तक नहीं बदल सके। बाथरूम तक नहीं हैं। वे खुले में रहने को मजबूर हैं। जवानों का कहना था कि हम बीमार हो रहे हैं। वीडियो में दिखाया गया है कि कई जवानों को एक ऐसा कमरा अलॉट कर दिया गया, जहां पर कबाड़ भरा था। वहां पंखा तक नहीं लगा था। एचआर सिंह का कहना था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और संबंधित फोर्स के अफसरों को ऐसे मामलों में त्वरित गति से संज्ञान लेना चाहिए। जवानों के साथ ये सलूक ठीक नहीं है। हरियाणा के रहने वाले सीआरपीएफ जवान प्रवीण कुमार की श्रीनगर में एक निर्माणाधीन लिफ्ट से गिरने के कारण मौत हो गई थी। वहां पर चुनावी ड्यूटी के लिए गए सीआरपीएफ जवानों को जिस बिल्डिंग में ठहराया गया था, वह भवन भी निर्माणाधीन था। वहां पर पर्याप्त रोशनी तक की व्यवस्था नहीं थी। पिछले माह चुनावी ड्यूटी पर जम्मू कश्मीर गए महाराष्ट्र के सीआरपीएफ जवान काकासाहब दादा पवने की भी इसी तरह मौत हो गई थी। वे श्रीनगर के हुमहमा इलाके में तैनात थे। वे चौथी मंजिल से गिर गए थे। जिस जगह पर जवानों को ठहराया गया था, वहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव था। रात में पांव फिसलने के कारण वह नीचे गिर पड़ा। गम्भीर चोट आने से जवान की मौत हो गई।

इसी साल 26 मई को बिहार के जहानाबाद के जय मंगल बिगहा गांव की रहने वाली सीआरपीएफ जवान कविता कुमारी उत्तर प्रदेश में चुनावी ड्यूटी पर तैनात थी। वह जिस चौराहे पर तैनात थी, वहां पर उसे एक बाइक सवार ने टक्कर मार दी। गंभीर रूप से जख्मी हुई कविता का इलाज के दौरान निधन हो गया। 13 मई को बीरभूम जिले के अंतर्गत मुराई के दो नंबर ब्लॉक के पाइकर जाजीग्राम के बूथ नंबर 203 पर तैनात सीआरपीएफ जवान महेंद्र सिंह की तबीयत खराब हो गई। रामपुरहाट मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में इलाज के दौरान उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। तीन जून को सीआरपीएफ में पदस्थ बैतूल निवासी जवान मेजर केवलराम यादव का उड़ीसा में चुनाव ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से निधन हो गया था। 19 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के माथाभांगा में स्थित एक मतदान केंद्र के शौचालय में सीआरपीएफ का एक जवान मृत पाया गया। बाद में पता चला कि उस जवान का बाथरूम में पांव फिसल गया था। सिर व पेट में चोट लगने के कारण उसकी मौत हो गई। 21 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में फरसपाल से चुनावी ड्यूटी देने के बाद वापस लौट रहे जवानों से भरी बस हादसे का शिकार हो गई थी। बस पलटने के कारण सीआरपीएक के 10 जवान घायल हो गए थे। 

बता दें कि चुनावी ड्यूटी पर गए सुरक्षा बलों के लिए वाहनों का इंतजाम लोकल प्रशासन करता है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों 'सीएपीएफ' में चुनावी ड्यूटी के दौरान अव्यवस्था को लेकर अगर कोई कैडर अफसर बोलता है तो उस पर गाज गिरा दी जाती है। इस साल कई अफसरों को 'मुंह' खोलना भारी पड़ा है। कुछ दिन पहले असम में एसएसबी की गोसाइगांव स्थित 31वीं बटालियन के सेकेंड इन कमांड '2आईसी' पराग चतुर्वेदी, जम्मू कश्मीर में चुनावी ड्यूटी पर जा रहे थे। एसएसबी अधिकारी और जवान, न्यूबंगाई गांव से उधमपुर जाने वाली इलेक्शन स्पेशल ट्रेन में सवार हुए थे। चतुर्वेदी को बतौर एडहॉक कमांडेंट, एडहॉक बटालियन का चार्ज सौंपा गया था। बीच रास्ते में चतुर्वेदी ने आईआरसीटीसी कर्मियों की क्लास लगा दी। उन्हें पता चला था कि एसएसबी जवानों को खाने की पर्याप्त मात्रा नहीं दी जा रही है। शॉर्ट सप्लाई का मामला तूल न पकड़े, रेल में तैनात स्टाफ, सेकेंड इन कमांड के लिए फ्रूट और मिठाई लेकर पहुंचा था। इस बात पर सेकेंड इन कमांड, पराग नाराज हो गए। 'सेकेंड इन कमांड' पराग चतुर्वेदी को लगा था कि रेलवे इस मामले में त्वरित एक्शन लेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका। एसएसबी के गोवाहाटी स्थित फ्रंटियर हेडक्वार्टर से 26 अगस्त को पराग चतुर्वेदी को चुनावी ड्यूटी से वापस बुलाने का आदेश जारी हो गया। कुछ दिन बाद इस मामले में जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हुई थी। 

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में लोकसभा चुनाव के लिए सीआरपीएफ जवानों की तैनाती की गई थी। सीआरपीएफ ने जिस जगह पर अपना कैंप स्थापित किया, वहां रात को कन्रौज पुलिस का एसआई, बिना अनुमति के अंदर घुस आया था। उसने अपने व्यक्तिगत मोबाइल फोन से सीआरपीएफ कैंप की फोटोग्राफी की। जवानों एवं सिविल ड्राइवरों के साथ बुरा बर्ताव किया। सीआरपीएफ के कमान अधिकारी ने इस मामले को उठाया था। उन्होंने आला अफसरों को भेजी अपनी शिकायत में कहा था, भविष्य में कन्नौज पुलिस, बल के जवानों को झूठे आरोपों में फंसा सकती है। एडहॉक समवाय ग्रुप केंद्र नोएडा के कार्यालय कंपनी कमांडर द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी, कन्नौज को शिकायती पत्र भेजा गया था। इस शिकायती पत्र की प्रति पुलिस उप महानिरीक्षक, ग्रुप केंद्र सीआरपीएफ नोएडा, कमांडेंट एडहॉक 355 बटालियन सीआरपीएफ, पुलिस अधीक्षक कन्नौज और पुलिस कोतवाली, कन्नौज को भेजी गई। इसका  नतीजा यह हुआ कि सीआरपीएफ अफसर राहुल सोलंकी को चुनावी ड्यूटी से वापस बुला लिया गया।

लोकसभा चुनाव के दौरान ही अपनी ड्यूटी को बेहतर तरीके से अंजाम देने वाले सशस्त्र सीमा बल 'एसएसबी' के एक अधिकारी को बदइंतजामी की शिकायत करना भारी पड़ गया था। सशस्त्र सीमा बल 'एसएसबी' की तदर्थ वाहिनी 722 के कमांड अधिकारी 'उप कमांडेंट' रतीश कुमार पांडे ने बल के आईजी महेश कुमार, सीमान्त मुख्यालय लखनऊ को शिकायत भेजी थी। इसमें डिप्टी कमांडेंट ने चुनावी ड्यूटी के दौरान स्थानीय पुलिस प्रशासन की बदइंतजामी की शिकायत की थी। उसमें कहा गया कि एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट व दूसरे कार्मिकों को रहने की उचित जगह नहीं मिली। वे कई घंटे तक इधर उधर भटकते रहे। इसके बाद पांडे पर ही एक्शन हो गया। एसएसबी के सीमान्त मुख्यालय लखनऊ के डीआईजी (ऑप्स) द्वारा तीन मई को जारी आदेश में डिप्टी कमांडेंट रतीश कुमार पांडे को चुनावी ड्यूटी से हटा दिया गया। डिप्टी कमांडेंट को 'कारण बताओ नोटिस' भी जारी किया गया था। इस कार्रवाई को लेकर केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीएपीएफ' के कैडर अफसरों में रोष व्याप्त हुआ था।



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