फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया यूपी फर्रुखाबाद। स्कंदमाता की व्रत कथा -पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तारकासुर नामक का एक राक्षस था, जिसकी मृत्यु केवल शिव जी के पुत्र ही कर सकते थे। ऐसे में तब पार्वती माता ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया। मां स्कंदमाता ने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। ऐसा कहा जाता है कि स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान स्कंद ने तारकासुर का वध किया और तभी से माता का नाम स्कंदमाता पड़ गया।
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा - अर्चना की जाती है। देव स्कन्द कुमार यानि कि कार्तिकेय जी की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता का नाम प्राप्त हुआ है। स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय अपने बाल रूप में बैठें हैं। मां स्वरूप स्कंदमाता देवी की चार भुजाएं हैं। दाहिनी ऊपरी भुजा में इन्होंने स्कन्द देव को गोदी ले रखा है, दाहिनी निचली भुजा में कमल का पुष्प धारण किए हुए हैं जो कि ऊपर को उठा हुआ है। स्कंदमाता का वर्ण पूर्ण श्वेत रंग का है।
तथा यह सदैव कमल के पुष्प पर विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें देवी पद्मासन कहा जाता है और साथ ही इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी नाम से भी जाना जाता है। देवी स्कंदमाता का वाहन सिंह है। स्कंदमाता सूर्यमंडल में उपस्थित अधिष्ठात्री देवी का स्वरूप है। इनकी वंदन आराधना करने से भक्तों को तेज तथा कांति की प्राप्ति होती है। जो भी मनुष्य एकाग्रता से पूर्ण निष्ठा के साथ देवी स्कंदमाता का ध्यान करता है उसके सभी कष्ट दूर होते हैं। वह भक्त जगत के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।
जय माता दी।।
जय स्कंदमाता की।।
मां स्कंदमाता के मंत्र :
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
नवरात्रि के पांचवें दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं। भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना नवरात्र की पंचमी तिथि पर विशेष रूप से की जाती है। देवी के इस स्वरूप की आराधना से व्यक्ति की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं उसके मोक्ष का मार्ग भी सुलभ हो जाता है। कार्तिकेय की माता होने के कारण ही देवी के इस स्वरूप को स्कंदमाता नाम मिला। काशी खंड, देवी पुराण और स्कंद पुराण में देवी का विराट वर्णन है। मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है।
माँ स्कंदमाता का स्वरूप: मां स्कंदमाता स्कंद कुमार भगवान कार्तिकेय की मां हैं। मां के स्वरूप की बात करें तो स्कंदमाता की गोद में स्कंद देव गोद में बैठे हुए हैं। मां स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं,इस वजह से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। मां का वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां की उपासना करने से संतान की प्राप्ति होती है। रिपोर्ट - मितेश कुमार सिन्हा डिस्ट्रिक्ट ब्यूरो चीफ 151045769
