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घुंघरूओं से निकाली घोड़े के दौड़ने आवाज
  • 151000002 - RASHMI TRIPATHI 0 0
    29 Sep 2024 16:03 PM



मां काली का दरबार संगीत की स्वरलहरियों के साथ ही भक्तों के जयकारे से गूंज उठा। कलाकारों ने गायन, वादन और नृत्य के जरिये माता के चरणों में हाजिरी लगाई। मध्यरात्रि तक भक्ति संगीत और भजनों की गंगा में संगीत साधकों के साथ श्रद्धालु भी गोते लगाते रहे। मां काली का पंचमेवा से शृंगार किया गया।शुक्रवार की शाम को संगीत समारोह में डॉ. ममता टंडन की शिष्य मांडवी सिंह, श्रुति सेठ, व्याख्या श्रीवास्तव, अनुकृति व शांभवी सेठ ने समूह कथक नृत्य से गणेश वंदना के साथ शुरुआत की। इसके बाद जय जय जग जननी... के साथ पारंपरिक कथक की प्रस्तुति करते हुए दादरा में राधा कृष्णा पर आधारित भाव नृत्य छोड़ो मोरी बहिया कन्हाई... पेश किया। नृत्य के दौरान उन्होंने युद्ध क्षेत्र में घोड़े के दौड़ने की आवाज और बारिश की आवाज घुंघरूओं से निकाली तो श्रोता भी वाह-वाह कर उठे।इसके पूर्व द्वितीय निशा में मंदिर के महंत पं. ठाकुर प्रसाद दुबे ने माता काली को पंचामृत स्नान कराकर नूतन वस्त्र आभूषण से सुसज्जित कराया। इसके बाद काजू, किशमिश, बादाम, छुहारा, मखाना और नारियल से बनी माला से मां का शृंगार किया गया। प्रधान पुजारी पं. विकास दुबे काका गुरु ने आरती उतारी। सायं काल भाजपा संस्कृति प्रकोष्ठ के संयोजक गीतकार कन्हैया दुबे केडी के संयोजन में सुप्रसिद्ध सितार वादक पं. देवव्रत मिश्र व पं. कृष्ण मिश्रा की पिता पुत्र की जोड़ी ने सितार पर युगलबंदी की।

कथक नृत्यांगना अदिति शर्मा ने कथक का भाव नृत्य प्रस्तुत करते हुए जगत जननी काली मां... और शिव जी के स्तोत्र को तराना के रूप में प्रस्तुत किया। सुप्रसिद्ध लोक गायिका ज्योति माही ने तू ना सुनेगी तो कौन सुनेगा... मयरिया कवने करनवा भुलैलू....पेश किया। लोक गायक गोविंद गोपाल ने देवी गीत पचरा की झड़ी लगाते हुए हे जग जननी... महादेव महादेव... सुगना के होती मैया...., पिंकी मिश्रा ने आ मां आ तुझे दिल ने पुकारा..., सरस्वती कृष्णमूर्ति ने बजरंगबली का क्या कहना..., उजाला विश्वकर्मा ने अईली मैया हो काली-काली... विजय बागी ने काली मैया करिया भवानी माई गोर... अमलेश पांडेय ने जगदंबा तोरी आरती...प्रस्तुत किया। 

कलाकारों ने रात्रिपर्यंत मां के दरबार में हाजिरी लगाई। कलाकारों के साथ तबले पर मोती, कीबोर्ड पर योगेंद्र व रंजन दादा, ढोलक पर मनीष त्रिपाठी शनि, बैंजो पर संजय, पैड पर विवेक इंद्रपाल ने संगत की। काली मठ प्रांगण हजारों भक्तों के जयकारों से गूंज रहा था। काशी के विभिन्न डमरू दल के सदस्यों ने मां के दरबार में डमरू बजाया।

संगीत समारोह में आज
प्राचीन कालीमठ संगीत समारोह के संयोजक गीतकार कन्हैया दुबे केडी ने बताया कि संगीत समारोह की तृतीय व अंतिम निशा में पं. माता प्रसाद व रूद्र शंकर का कथक, लोक गायक रविंद्र सिंह ज्योति, व्यास मौर्य, बाल कलाकार यथार्थ दुबे, अमलेश शुक्ला सहित अन्य कलाकारों की प्रस्तुति होगी।
 



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