फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया अमेरिकी सरकार का चीन के संबंध में लिया गया एक फैसला फिलहाल भारत के लिए परेशानी का सबब बन गया है। इससे देश के निर्यात की मात्रा पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है। दरअसल, अमेरिका ने चीनी उत्पादों के आयात पर टैरिफ में इजाफा कर दिया है। इसके लागू होने की समयसीमा खत्म होने के पहले चीन अधिक से अधिक उत्पादों को अमेरिकी बाजारों तक पहुंचाने की जुगत में है। इस कारण वह अपने यहां अधिक से अधिक कंटेनर इकट्ठा कर रहा है। इसके असर से भारत में कंटेनरों की कमी हो गई है। शिप कारोबार से जुड़े जानकारों के अनुसार अगर स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में भारत के निर्यात पर इसका असर देखने को मिल सकता है। क्योंकि, कारोबारियों को अपना सामान बाहर भेजने के लिए कंटेनर नहीं मिल पा रहे हैं। चीनी की ओर से अमेरिका को निर्यात किए सामानों की हाल के दिनों में बढ़ गई है। इसे चीन में कंटेनरों की मांग में भी वृद्धि हुई है। कई खाली कंटेनर चीन भेजे जा रहे हैं। बाइडन प्रशासन ने कई चीनी सामानों पर उच्च टैरिफ लगाने के अपने फैसले की घोषणा की थी- जिसमें स्टील से लेकर सोलर सेल, लिथियम आयन बैटरी और उनके पुर्जे, इलेक्ट्रिक वाहन और मेडिकल उत्पाद शामिल हैं। इस फैसले को इस साल से 2026 तक चरणों में लागू किया जाना था।चीनी उत्पादों पर अमेरिका का हाई टैरिफ अगस्त महीने से ही लागू हो रहे हैं। यही वजह है कि चीनी निर्यातक जल्दी से जल्दी अपना माल अमेरिका भेजना चाहते हैं। खाली कंटेनर को चीन भेजा जा रहा है ताकि उन्हें उन्हें जल्दी से जल्दी लोड कर अमेरिका भेजा जा सके। इस बीच, यूरोपीय संघ और कनाडा ने भी चीन के निर्यात पर टैरिफ बढ़ा दिया है। इससे स्थिति और बिगड़ गई है, चीन में कंटेनरों की मांग लगातार बढ़ रही है। दूसरी ओर, लाल सागर में संकट के कारण जहाजों के लिए भारत का रूट लंबा पड़ रहा है। भारतीय बंदरगाहों पर उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इस कारण कई शिपिंग कंपनियां भारत आने से परहेज कर रही हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में फियो के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय के हवाले से कहा कि शिपिंग लाइन्स हमारे पोर्ट्स पर आने से बच रही हैं क्योंकि उन्हें लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। हालांकि सरकारी अधिकारियों का मानना है कि बुरा दौर खत्म हो चुका है और आने वाले महीनों में कंटेनर सप्लाई में सुधार आने की उम्मीद है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि कमजोर वैश्विक मांग के बीच, अगस्त और सितंबर के लिए भारत के व्यापार आंकड़ों में कमी आने की आशंका है क्योंकि निर्यातक अपने माल के निर्यात के लिए कंटेनरों की तलाश में जुटे हैं।