कितनी बार पोस्ट कर चूका हूँ ओर करता रहूंगा शायद इसे पढ़ कर कुछ ओर लोग शाकाहारी बन जायें...!
रसोई बनाने के कुछ नियम....!!
गुस्से से अगर खाना बनाया गया है उसे सात्विक अन्न नही कहेंगे, इसलिए खाना बनाने वालों को कभी भी नाराज, परेशान स्थिति में खाना नही बनाना चाहिए।
और कभी भी माँ, बीबी, बहनों को (या जो खाना बनाते है उनको) डांटना नहीं, उनसे कभी लड़ना नहीं क्योंकि वो रसोईघर में जाके और आपके ही खाने में गुस्से वाली Vibrations मिला के.....आपको ही एक घंटे में खिलाने वाले है... ये ध्यान में रखने वाली अत्यन्त ही महत्वपूर्ण बात है।
किसी को डांट दो, गुस्सा कर दो और बोलो जाके खाना बनाओ.....अब....?
खाना तो हाथ बना रहा है मन क्या कर रहा है अन्दर मन तो लगतार खिन्न है -......तो वो सारे प्रभाव खाने के अंदर जा रहे है..
भोजन तीन प्रकार का होता है-
1. जो हम होटल में खाते है
2. जो घर में माँ बनाती है और
3. जो हम मंदिर और गुरूद्वारे में खाते है
तीनो के प्रभाव अलग अलग होते हैं ।
(1) जो Hotel में खाना बनाते है उनके Vibration कैसे होते है
आप खाओ और हम कमायें जो ज्यादा बाहर खाता है ... असल मे उनका रोज़ रोज़ बाहर खाना ही उसकी सारी कमाई खा जाता है।
(2) घर में जो माँ खाना बनाती है
वो बड़े प्यार से खाना बनाती है...
परंतु ,घर में आजकल जो Cook (नौकर) रख लिए है खाना बनाने के लिए और वो जो खाना बना रहे है वो भी.. इसी सोच से कि आप खाओ हम कमाए.... एक बच्चा अपनी माँ को बोले कि..एक रोटी और खानी है तो माँ का चेहरा ही खिल जाता है।कितनी प्यार से वो एक और रोटी बनाएगी। कि मेरे बच्चे ने रोटी तो और मांगी वो उस रोटी में बहुत ज्यादा प्यार भर देती है... अगर आप अपने खाना बनाने वाले नौकर को बोलो एक रोटी और खानी है.... तो..? वो सोचेगा ...रोज 2 रोटी खाते है, आज एक और चाहिए आज ज्यादा भूख लगी है अब मेरे लिए एक कम पडेगी या ..आटा भी ख़त्म हो गया अब और आटा गुंथना पड़ेगा एक रोटी के लिए..मुसीबत...!!!
ऐसी रोटी नही खानी है..ऐसी रोटी खाने से..ना खाना ही भला....
(3) जो मंदिर और गुरूद्वारे में
खाना बनता है प्रसाद बनता है वो किस भावना से बनता है...वो परमात्मा को याद करके खाना बनाया जाता है, सबके पेट और आत्मतृप्ति के लिए वह भोजन पकाया जाता है तो , क्यों न हम अपने घर में परमात्मा की याद में प्रसाद बनाना शुरू कर दें.
करना क्या है ... ?
घर, रसोई साफ़, मन शांत, रसोई में अच्छे गीत चलाये और उनको सुनते हुए खाना बनाये ।
या फिर,
घर में जो समस्या है उसके लिए जो समाधान है उसके बारे में परमात्मा को याद करते हुए खाना बनाये.
परमात्मा को कहे मेरे बच्चे के कल परीक्षा है, इस खाने में बहुत ताकत भर दो.! शांति भर दो.! ताकि मेरे बच्चे का मन एकदम शांत हो, ताकि उसकी सारी चिंता खत्म हो जाये.
हे परमात्मा, मेरे पति को व्यवसाय में बहुत चिंता है और वो बहुत गुस्सा करते हैं, इस खाने में ऐसी शक्ति भरो, कि उनका मन शांत हो जाये...
जैसा अन्न वैसा मन..
जादू है खाने में।
असर है पकाने में।
शुद्ध शाकाहारी
रोटी
आलू
दही
सलाद🙏