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रक्षाबंधन 2024: कैसे मनाएं पर्व, संपूर्ण विधि, मंत्र, कथा एवं शुभ मुहूर्त
  • 151045769 - MITESH KUMAR SINHA 0 0
    25 Jul 2024 09:09 AM



फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया यूपी फर्रुखाबाद। रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति का ऐसा रत्न है जिसकी रश्मियों में सुंदर रिश्ते झिलमिलाते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाता है। इसे आमतौर पर भाई-बहनों का पर्व मानते हैं लेकिन, अलग-अलग स्थानों एवं लोक परम्परा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन का पर्व मानते हैं। वैसे इस पर्व का संबंध रक्षा से है जो भी आपकी रक्षा करने वाला है उसके प्रति आभार दर्शाने के लिए आप उसे रक्षासूत्र बांध सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षा सूत्र के विषय में युधिष्ठिर से कहा था कि रक्षाबंधन का त्योहार अपनी सेना के साथ मनाओ इससे पाण्डवों एवं उनकी सेना की रक्षा होगी। श्रीकृष्ण ने यह भी कहा था कि रक्षा सूत्र में अद्भुत शक्ति होती है। रक्षाबंधन से संबंधित अनेक कथाएं हैं।

रक्षा बंधन पर्व मनाने की विधि :

रक्षा बंधन के दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं। इसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम एवं दीप जलकर थाल सजाते हैं। इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैं फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली एवं अक्षत से तिलक करती हैं। इसके बाद भाई की दाईं कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बांधती हैं और मिठाई से भाई का मुंह मीठा कराती हैं। राखी बंधवाने के बाद भाई बहन को रक्षा का आशीर्वाद एवं उपहार व धन देता है। बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र एवं सुख तथा उन्नति की कामना करती है। इस दिन बहनों के हाथ से राखी बंधवाने से भूत-प्रेत एवं अन्य बाधाओं से भाई की रक्षा होती है। जिन लोगों की बहनें नहीं हैं वह आज के दिन किसी को मुंहबोली बहन बनाकर राखी बंधवाएं तो शुभ फल मिलता है। इन दिनों चांदी एवं सोने की राखी का प्रचलन भी काफी बढ़ गया है। चांदी एवं सोना शुद्ध धातु माना जाता है अतः इनकी राखी बांधी जा सकती है लेकिन इनमें रेशम का धागा लपेट लेना चाहिए।
राखी बांधते समय कौन सा मंत्र बोलें -

येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व :

भाई-बहनों के अलावा पुरोहित भी अपने यजमान को राखी बांधते हैं और यजमान अपने पुरोहित को। इस प्रकार राखी बंधकर दोनों एक दूसरे के कल्याण एवं उन्नति की कामना करते हैं। प्रकृति भी जीवन के रक्षक हैं इसलिए रक्षाबंधन के दिन कई स्थानों पर वृक्षों को भी राखी बांधी जाती है। ईश्वर संसार के रचयिता एवं पालन करने वाले हैं अतः इन्हें रक्षा सूत्र अवश्य बांधना चाहिए।

रक्षाबंधन की कथा : रक्षाबंधन कब प्रारम्भ हुआ इसके विषय में कोई निश्चित कथा नहीं है लेकिन जैसा कि भविष्य पुराण में लिखा है, सबसे पहले इन्द्र की पत्नी ने देवराज इन्द्र को देवासुर संग्राम में असुरों पर विजय पाने के लिए मंत्र से सिद्ध करके रक्षा सूत्र बंधा था। इस सूत्र की शक्ति से देवराज युद्ध में विजयी हुए।

शिशुपाल के वध के समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्ण की उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांध दिया। इस दिन सावन पूर्णिमा की तिथि थी। भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि समय आने पर वह आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतारेंगे। द्रौपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने इसी वचन को निभाया। आधुनिक समय में राजपूत रानी कर्णावती की कहानी काफी प्रचलित है। राजपूत रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल शासक हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने राजपूत रानी को बहन मानकर राखी की लाज रखी और उनके राज्य को शत्रु से बचाया।

पढ़िए शुभ मुहूर्त और योग:इस बार रक्षाबंधन पर्व 19 अगस्त 2024 को मनाया जाने वाला है। रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। हर साल से अगस्त के महीने में यह त्योहार मनाया जाता है। पिछली बार की तरह इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहने वाला है। ऐसे में आइये जानते हैं कि रक्षाबंधन की सही तिथि शुभ मुहूर्त और योग कौन-से हैं।

रक्षाबंधन पर भद्रा का साया

पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त 2024 सोमवार को रात 3:04 से शुरू हो रही है यह 19 अगस्त 2024 को ही रात 11:55 पर समाप्त हो रही है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त 2024 सोमवार को मनाया जाएगा।

पाताल लोक में होगा भद्रा वास
इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। रक्षाबंधन पर भद्रा का साया सुबह 5:53 से शुरू होगा, जो कि दोपहर 1:32 तक रहेगा। भद्रा का वास पाताल लोक में है। कई पंडितों का कहना है कि यदि भद्रा का वास स्थान पाताल या फिर स्वर्ग लोक में है, तो वह पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए उसे शुभ कहा जाता है। वहीं कई शुभ कार्य में भद्रा का पाताल में होना अशुभ माना गया है।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
इस बार रक्षाबंधन के दिन शाम के समय पंचक भी लग रहे हैं। पंचक की शुरुआत शाम 7:00 बजे से होगी, जो कि अगले दिन सुबह 5:53 तक रहेंगे। पंचक सोमवार को लग रहा है, जो कि राज पंचक होगा। यह शुभ माना जाता है राखी बांधने के लिए रक्षाबंधन पर शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 से लेकर रात 9:08 तक रहेगा। इस तरह आपको 7 घंटे 38 मिनट का शुभ समय मिलेगा। रक्षाबंधन पर तीन शुभ योग भी बन रहे हैं। शोभन योग पूरे दिन रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:53 से 8:10 तक रहेगा और रवि योग भी सुबह 5:53 से 8:10 तक रहेगा। मितेश कुमार सिन्हा डिस्ट्रिक इंचार्ज फरुखाबाद 151045769



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