बारिश के मौसम में जब धान की रोपाई शुरू होती है तब गृहणियां सुबह सुबह ही बड़े से बटूले,डेक्ची जैसे मटका होता है ना पतीला में बाहर वाले बड़के चूल्हा पर घुघुरी बनने के लिए रख देती हैं। घुघुरी बनने में काफी समय लगता है इसलिए सुबह सुबह ही बनने के लिए रख दिया जाता है। घुघुनी चना का, सफ़ेद मटर का, हरा मुग का, हरा मटर का, हरा चना का जो घर में होता है उसी से बनते है। एक तरफ़ घुघुरी पकती रहती है और दूसरी तरफ लहसुन, हरी मिर्च का तीखा सा चटपटा नमक सिल बट्टे पर पिसा जाता है। माध्यम आकार की प्याज छीलकर रख लेते हैं।
जब बेहन के खेत में से धान की रोपाई के लिए पर्याप्त मात्रा में बेहन उखाड़ ली जाती है तब रोपाई वाले खेत में जाने से पहले कामगार लोगों को नाश्ता करवाया जाता है। सागौन, केले इत्यादि के पत्ते पर ढेर सारी घुघुरी, प्याज, हरी मिर्च, तीखा चटपटा नमक दिया जाता है और लोटा भर कर गुड़ का शर्बत देते हैं। सब लोग नमक मिलाकर प्याज हरी मिर्च संग घुघुरी खाते हैं और साथ में गुड़ का शर्बत पीते जाते हैं। पेट भर नाश्ता करने के बाद बेहन का बोझ बनाकर सर पर रखकर धान रोपाई वाले खेत में उतरते हैं और फिर एक बार जो रोपाई करने के लिए झुकते हैं तब फिर पूरा खेत रोप कर ही छुट्टी करते हैं।
जो लोग घुघरी के बारे में जानते हैं और खाई है उनके तो मुंह में घुघुरी सुनकर देखकर ही पानी आ गया होगा जो लोग नही जानते हैं उनको बता रही हूँ कि घुघुरी कैसे और किससे बनती है? अरहर, मटर, चना, बाजरा,गेहूं जैसे साबुत अनाज को सिर्फ पानी डालकर खूब देर तक उबालकर पकाया जाता है और फिर इसमें ऊपर से तीखा चटपटा नमक मिलाकर खाते हैं और साथ में सिखरन यानि गुड़ का शर्बत पीते हैं। ये घुघुरी बनाने और खाने की पारंपरिक विधि है। अब तो सब लोग हरी मटर को छौंक कर अपने स्वाद अनुसार मसाले डालकर घुघनी बनाते हैं, काले चने को भिगो कर उबालकर फिर उसमें तड़का लगाकर मसाले डालकर घुघनी बनाई जाती है।
ये बरसात का सीजन है और धान की रोपाई जैसे खूब मेहनत का काम करना होता है इसलिए पहले के लोग साबुत अनाज को सिर्फ पानी में उबालकर घुघनी बनाते थे ताकि ये खाने में हल्का और सुपाच्य हो। ये मेहनत का काम करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा तो दे लेकिन पेट में गैस इत्यादि की समस्या न उत्पन्न करे। मुझे तो घुघुरी में गन्ने के रस का बना सिरका डालकर खाना अच्छा लगता है। घुघुरी और गुड़ का शर्बत सुबह का ऐसा तगड़ा नाश्ता होता था कि इसे खाकर मानो नशा हो जाता था और खूब गहरी घंटो तक सोने वाली नींद आती। लेख-राजेश शिवहरे कंट्री इंचार्ज मैगज़ीन 151168597