" मां" Fast news India
( एक सच्ची घटना पर आधारित ( एसपी साहब का नाम जानबूझकर नहीं बताया गया है) )
शहर में मौसम आज कुछ ज्यादा ही खराब था,कड़कड़ाती बिजली और तेज गरजते बादलों के साथ पिछले दो घंटे से झमाझम होती बारिश की वजह से शहर की सड़कों पर हर तरफ पानी ही पानी दिखाई पड़ रहा था,
आमतौर पर तो इस शहर का बाजार तकरीबन रात दस बजे तक खुला रहता था, पर आज घनघोर बारिश और खराब मौसम के चलते दुकानों के शटर वक्त से पहले ही गिर चुके थे,
साथ ही शहर के कई हिस्सों में बिजली भी गुल थी,जिस वजह से इस बरसते हुए पानी के बीच सड़क पर कुछेक चार पहिया वाहनों के अलावा सिर्फ कुछ जरूरत मंद एवम नियमित दिनचर्या वाले लोग ही आते जाते दिखाई पड़ रहे थे, वह भी छाता के साथ।
इन्हीं चंद चार पहिया वाहनों में एक सरकारी कार शहर के नए पुलिस कप्तान आनंद दीवान की भी थी, दीवान का लखीमपुर जिले से दो दिन पहले ही इस शहर में स्थानांतरण हुआ था,और आज ही उन्होंने पदभार ग्रहण किया था,दिन भर शहर के कई थानों का भ्रमण और दफ्तर का काम निपटाने के बाद पिछली सीट पर बैठे एसपी साहब अब गहरी थकान लिए हुए अपने सरकारी आवास की ओर जा रहे थे,कार की ड्राइविंग सीट पर उनका सरकारी ड्राइवर एवम बगल वाली सीट पर गनर बैठे हुए थे,जबकि अत्यधिक थकान के कारण इस दौरान वह बीच बीच में हल्की झपकी भी ले रहे थे।
तभी अचानक से ब्रेक लगाने की एक जोरदार आवाज के साथ एक झटके में कार रुक गई, एसपी साहब का सिर कार की अगली सीट से टकराते टकराते बचा।
"क्या हुआ मनोहर? ऐसे ब्रेक क्यों लगाया?"
एसपी साहब ने अपने ड्राइवर पर झल्लाते हुए उससे पूंछा।
"सॉरी सर! पर कार के सामने अचानक से कोई आ गया था।"
कार को सड़क पर ही रोक कर गनर नीचे उतरा,तो उसने देखा कि लगभग पैंतीस साल की एक महिला उनकी कार ले बोनट के ठीक सामने बदहवाश सी खड़ी है, तेज बारिश के कारण उसका भीगा हुआ चेहरा एकदम साफ तो नहीं दिख रहा था,पर पास जाने पर गनर ने देखा कि वह महिला बेहद परेशान दिखाई पड़ रही थी।
"हैलो! मैडम! यही गाड़ी मिली थी क्या सुसाइड करने के लिए आपको? अभी एक्सीडेंट हो जाता तो कल मीडिया में हम पुलिस वालों और हमारे साहब को विलेन बना कर दिखाया जाता, चलिए ,हटिए सामने से।"
गनर की बात सुनकर वह महिला करीब आ गई, और उसने लगभग गिड़गिड़ाते हुए बताया कि वह जानबूझ के इस गाड़ी के सामने आई है, वह एसपी साहब से मिलना चाहती है,
महिला की बात सुनकर गनर ने उसे सुबह ऑफिस आने को कहा, पर वह लगभग रोते हुए हाथ जोड़कर एसपी साहब से मिलने की गुहार लगाने लगी।
एसपी आनंद दीवान एक बेहतरीन और होनहार पुलिस अधिकारी थे,उन्हें जनता की उतनी ही चिंता होती थी जितनी की अपने परिवार की,
कार के बाहर महिला का हंगामा होते देख वह स्वयं भी कार से उतर आए,
हालांकि कार में इस वक्त छाता मौजूद नहीं था,पर फिर भी उन्होंने बारिश में भीगना मुनासिब समझा।
एसपी साहब को अपने सामने देख कर वह महिला बेहद भावुक हो गई,और जोरों से बिलखते हुए उसने अपनी करुणामयी समस्या उन्हें सुनाई,
महिला ने बताया कि वह पास की ही गली में स्थित एक फ्लैट में रहती है, उसका पति अत्यधिक शराब पीता है,साथ ही उसका किसी दूसरी महिला से अफेयर भी है,उनका एक सात साल का बेटा है,
आज उनके पति ने उस दूसरी महिला के साथ मिलकर उसे और उसके बेटे को रास्ते से हटाने की योजना बनाई,
उन्होंने फ्लैट के ही एक बंद कमरे में उसे और उसके बेटे को बंद करके किसी जहरीली गैस का रिसाव सारे कमरे में कर दिया है,जिससे कि दोनों की मौत एक हादसा लगे,अंतिम समय में किसी तरह से खिड़की के रास्ते वह तो बाहर निकल कर भाग आई, पर उसका बेटा अभी भी उसी कमरे के अंदर बंद है, अगर उसे जल्दी नहीं बचाया गया तो उसकी जान चली जाएगी।
महिला की बात सुनकर एस पी साहब दंग रह गए,बेहद संवेदनशील मामला था, महिला को साथ लेकर वह उसके बताए गए पते पर अपने गनर सहित लगभग दौड़ते हुए गए,
इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय पुलिस को भी सूचना दे दी थी,जल्दी ही वह उस फ्लैट तक भी पहुंच चुके थे, फ्लैट का दरवाजा बाहर से लॉक था,
उन्होंने किसी तरह से उसे तोड़कर अंदर मौजूद बंद कमरे को जैसे ही खोला, उनका दम घुटने लगा,
अंदर सच में ही जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, आनंद दीवान और उनका गनर अपनी नाक पर रूमाल रख कर तेजी से अन्दर गए,
वहां एक कोने में फर्श पर उन्हें एक महिला पड़ी हुई दिखाई दी,महिला की गोद में ही एक बच्चा था,जिसने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था,महिला ने उस बच्चे का सिर अपने आंचल में ढक रखा था,शायद इस कमरे में एक ही मास्क मौजूद रहा होगा जिसे इस महिला ने अपने बेटे को पहना दिया होगा,और खुद बिना मास्क के ही जहरीली गैस से संघर्ष कर रही होंगी
एसपी साहब ने दोनो को खींच कर कमरे से बाहर निकाला,
बच्चा शायद मास्क लगाए हुए था इसलिए उसकी नब्ज अभी चल रही थी,पर उसके साथ जो महिला थी वह मृत हो चुकी थी,
पर जैसे ही आनंद दीवान का ध्यान महिला के चेहरे पर गया, उसे एक जोर का झटका लगा,
सिर्फ आनंद दीवान ही नहीं उनका गनर भी बुरी तरह से चौंक गया था।
आखिर ऐसा कैसे संभव था?
यह मृत महिला वहीं थी जो उनकी गाड़ी की सामने आई थी,और उन्हें सारा मामला बता कर यहां तक ले कर आई थी, सिर्फ चेहरा ही नहीं इस महिला ने भी हुबहू वैसी ही लाल साड़ी पहन रखी थी,जैसी की उसने पहनी थी।
इस दौरान क्षेत्रीय पुलिस और एंबुलेंस भी आ चुकी थी, एसपी साहब तेजी के साथ दौड़ते हुए अपनी फूलती सांसों के साथ उस फ्लैट से बाहर निकले, और चारों ओर उस महिला को तलाशने लगे जो उन्हें यहां तक लेकर आई थी,
पर वहां दूर दूर तक कोई भी नहीं था।
कुछ ही देर बाद बच्चे को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था,जबकि उस महिला के मृत शरीर को पोस्टमार्टम हाउस।
उसे ले जाते वक्त स्तब्ध से खड़े एस पी साहब की नजरें उस महिला के चेहरे पर ही टिकी थी, एक बेहद गहरा सुकून उसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था, शायद वह सुकून अपने बेटे को बचा पाने का था, भले ही इस प्रयास में उसकी खुद की जान चली गई।
ऐसा बलिदान ,ऐसी निस्वार्थ ममता एक मां के अलावा भला इस संसार में दूसरा कौन कर सकता है?
मृत्यु के बाद भी जिसकी ममता,जिसका दुलार अपनी संतान के लिए जीवित रहता हो,उस मां की तुलना भला कौन कर सकता है?
उस मां ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी खुद की चिंता किए बिना,अपने बेटे को जीवनदान देने का पूरा प्रयास किया था,उसे बचाने की कोशिश में वह खुद तो चल बसी थी,मगर उसके दिल में मौजूद बेटे को बचाने की ममतामयी जिद उसकी मृत्यू के बाद भी जिंदा थी,
और उसी जिद के चलते शरीर छोड़ चुकी उस मां की आत्मा का भी बस एक ही लक्ष्य था,बेटे को बचाना।
ममता का ऐसा अनोखा किस्सा अपनी आंखों से सजीव देखकर एसपी आनंद दीवान की आंखें अगले कई दिनों तक आंसुओ में डूबी रही,उन्होंने उस महिला के हत्यारे को बहुत जल्द जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा कर अपना कर्तव्य तो पूरा किया ही,
साथ ही उस मासूम बच्चे के स्वस्थ होते ही उसे गोद लेकर एक मां की तड़पती हुई आत्मा को भी अथाह सुकून देकर उसे भी मोक्ष की प्राप्ति दिलाने में मदद की।
Rajesh Shivhare country incharge magazine
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