एमपी भिंड ग्राम दबोहा में श्रीमद् भागवत कथा का दूसरा दिन है जिसमें सरस कथा वाचक डॉक्टर राजेश्वरी देवी के मुखारविंद से बड़ी माता धाम पर चल रही है भागवत कथा को सभी सुनते हैं परंतु भागवत कथा क्यों कही जाती है उसका वर्णन किया गया है नदी किनारे एक ब्राह्मण का घर था जिसका नाम आत्मदेव था आत्मदेव को सभी चारों वेदों का ज्ञान था अगर आप ध्यान से परी पूर्ण हो गए हो और आप ज्ञानी बन गए हो तो प्रेम आना बहुत जरूरी है यानी आपको अहंकार बनता है रावण को अहंकार हो गया था जो जितना बड़ा संत होगा वह कहता है हमें सुनना मत अरे प्रेम का रास्ता इतना सहज है और ज्ञान के कारण वह भगवान को पा लेता है आत्मा देवी की जय पूरी नहीं हुई संत का हृदय बिल्कुल शांत रहता है तुम अपने जीवन में कितना भी अच्छा काम करो कि भगवान आपके अपने आप हो जाए क्योंकि भगवान में कोई भेदभाव नहीं होता है इसका चिंतन करना चाहिए आत्मदेव यह पुत्र का नाम धुंधकारी हुआ और उसका नाम गोकर्ण हुआ हम सभी धुंधकारी हैं कि हम अपने मां से भगवान की कथा में कटौती करते हैं अगर हमारे पंडित के अंदर तीन गुण होना चाहिए मात्र व्रत की पर सभी को सभी मानों को अपनी मां समझना चाहिए दूसरे के धन पर अपनी दृष्टि न जाए दूसरे के धन को अपना नहीं समझना चाहिए धुंधकारी दूसरों के घर में वेश्याओं के साथ वेश्यावृत्ति करता था धुंधकारी पांच बेस्याओ को अपने घर लाया इसका मतलब वह पांच इंद्रियों पर अपना अंकुश नहीं लगा पाया यह संसार कैसा है जिसका कोई कर ना हो उसे हम संसार कहते हैं संसार में दुख का कारण है कि आपको मोह हो जाता है भिंड से सतीश शर्मा की रिपोर्ट