हिमाचल हमीरपुर। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के डेंटल विभाग में 800 दंत रोगियों का उपचार लंबित चल रहा है। इन्हें बार-बार मेडिकल कॉलेज के चक्कर काटने पड़ते हैं। इसका कारण मेडिकल कालेज में डेंटल मेकेनिक का न होना बताया जा रहा है। एक ही डेंटल मेकेनिक होने से दांतों को बदलवाने और दांत लगवाने वाले बुजुर्गों और अन्य मरीजों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 800 दंत रोगियों में से ज्यादातर बुजुर्ग हैं जो 60 और 70 आयु वर्ग के हैं। वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में होने के चलते इनके दांतों का इलाज प्राथमिकता के आधार पर किया जाना है लेकिन डेंटल मेकेनिक का एक पद खाली होने से एक ही डेंटल मेकेनिक पर सारे डेंचर बनाने का भार पड़ गया है। यह डेंटल मेकेनिक काम की व्यस्तता के चलते छुट्टी भी नहीं ले पा रहा है। अगर यह कर्मचारी छुट्टी पर जाता है तो डेंचर बनाने का विभाग के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मेडिकल कॉलेज में रोज सौ के करीब ओपीडी रहती है। इनमें से अधिकतर मरीज दांतों को लगवाने के लिए आते हैं। एक ही डेंटल मेकेनिक होने से मरीजों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। निजी क्लीनिक में मरीजों को सात हजार रुपये के बजाय बीस हजार रुपये दांतों को लगवाने के लिए देने पड़ रहे हैं। एक डेंटल मेकेनिक पूरे महीने में केवल पांच ही मरीजों के डेंचर बना सकता है। अधिक मरीजों के दांतों के डेंचर बनाने के लिए यहां रिक्त चल रहे डेंटल मेकेनिक के पद को भरना बेहद जरूरी है। मेडिकल कॉलेज में डेंटल मेकेनिक के दो पद स्वीकृत हैं। मेडिकल कॉलेज में मंडी, बिलासपुर और कांगड़ा जिले के कुछ क्षेत्रों के लोग दांतों का इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं। इतनी दूर से आने के लिए मरीजों को काफी किराया भी वहन करना पड़ता है। जिला हमीरपुर के बुजुर्गों अभिया राम, वतन सिंह, प्यार चंद, सुभाष ठाकुर, मस्त राम, मेहर चंद, सुरेश कुमार और सूरम सिंह का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में प्रशासन को डेंटल मेकेनिक के खाली चले हुए पद को जल्द भरना चाहिए ताकि काॅलेज में आने वाले दंत रोगियों को समय पर उपचार मिल सके। रत्न चंद स्टेट ब्यूरो चीफ हिमाचल फास्ट न्यूज इंडिया 151049876
