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दूध दही खाए ननदरानी गोबर उठाए बहुरानी
  • 151168597 - RAJESH SHIVHARE 0



सुबह-सुबह कड़ाके की ठंड, हर तरफ कोहरा ही कोहरा नजर आ रहा था। सुबह के 5:30 बज चुके थे। दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। घर के सदस्य अपनी अपनी रजाईयों में घुसे हुए थे। पर यह क्या? घर की बहू कांता घर के पीछे की तरफ बने हुए बाड़े की सफाई कर रही थी। इतनी तेज ठंड के अंदर कांपते हुए हाथों से गाय का गोबर उठाती जा रही थी साथ ही साथ मन ही मन कूढ़ती जा रही थी। हे भगवान! जल्दी जल्दी काम निपटा लूँ, नहीं तो अम्मा जी मेरा जीना दुश्वार कर देगी, ऊपर से तबीयत भी ठीक नहीं है मन ही मन सोचती जा रही थी। कितनी ही कोशिश कर रही थी पर हाथ पैर तेज चल ही नहीं रहे थे। 5:30 बज चुके थे अगर 6:30 बजे तक ये काम निपटा कर नहा धोकर चौके में नहीं घुसी तो अम्मा जी का अपना राग शुरू हो जाएगा। 6:30 बजे तक तो बिस्तर में चाय चाहिए होती थी उनको। पति माधव को भी तो उसी समय जगाना होता है।

उसके बाद वही बिस्तर पर बैठकर फरमान जारी करती रहेगी। 7:30 बजे तक माधव का टिफिन भी तैयार करना होता है। आखिर नौकरी के लिए रोज शहर जो जाना पड़ता है। शादी को अभी सात महीने ही हुए हैं। शादी से पहले कितना कुछ कहा था इन लोगों ने। बेटा शहर में नौकरी करता है। हमारे यहां तो नौकर हैं काम करने के लिए गायें तक पाल रखी है खूब दूध दही होता है हम तो ताजी चीजें ही खाते हैं आराम से रहो खाओ पियो मस्त रहो। सोचा था कि शादी के बाद पति के साथ शहर में रहने को मिलेगा। पर हाय री किस्मत ! कितनी कोशिश की थी कि कमरा लेकर वही शहर में रह लेते लेकिन अम्मा जी के आगे किसी की ना चली। कहीं बहू बेटा शहर के हो गए तो लौट कर ही नहीं आएंगे। आखिर बेटे को ही रोज आना-जाना करना पड़ता है।

माधव ने अपनी बड़ी बहन को भी कहा था कि अम्मा को समझाएं पर उसने तो माधव को ही लताड़ दिया। औरत के आते ही अपनी अम्मा को अपने से अलग करना चाहता है। शर्म नहीं आती तुझे इकलौता बेटा है आखिर अम्मा भी चाहती है कि बेटा बहू उसकी सेवा करें पर आजकल के लोगों को तो अकेले आसमान में उड़ने का शौक है। इसके आगे माधव कुछ कह नहीं पाया और कांता मन मसोसकर रह गई। इसमें भी अम्मा जी और उनकी बेटी मालती दोनों का फायदा है। यहां अम्मा जी को कोई काम नहीं करना पड़ता। बस बैठे बैठे ऑर्डर देती रहती है। वहाँ मालती के घर पर रोज फ्री का दूध दही पहुंच जाता है तो उसे क्या परेशानी? ऊपर से दो दो गाय और पाल रखी है पहले तो नौकर लगा रखा था पर अब कांता के आने के बाद उसे भी हटा दिया। अब तो अम्मा जी भी पीछे बाड़े में आकर देखती भी नहीं। अम्मा जी ने जितना शादी के पहले कहा था उन सब के ढोल के पोल तो अब पता चल रहे थे।

 जैसे-तैसे काम निपटा कर नहा धोकर कांता रसोई घर में चाय बना ही रही थी कि अम्मा जी की आवाज आई, अरी ओ महारानी! सो गई क्या? आज चाय मिलेगी कि नहीं?" बस अम्माजी ला रहे हैं" कहकर कांता ने चाय के दो कप में डाली और अम्मा जी को देने चली गई, अम्मा जी आपकी चाय" हमें तो लगा था आज हमें चाय नसीब ही नहीं होगी। कितनी देर लगा दी। जा जाकर माधव को भी चाय दे दे और खबरदार उसके पास बात करने बैठी तो? समय व्यर्थ हो जाएगा। उधर मालती भी इंतजार करती होगी " पति के पास कब बैठना है कब नहीं यह भी अब अम्मा जी डिसाइड करेगी। मन ही मन कूढ़ती हुई कांता माधव को चाय देने चली गई और फटाफट काम करने लगी। इतने में फिर अम्मा जी की आवाज आई, बहू, बर्तनों को धोकर ही उसमे दुध डालना। मालती ने कहा है कि उसकी सास आने वाली है बर्तन बिल्कुल साफ सुथरे होनी चाहिए।

हां हम तो गंदगी में ही रहते हैं कांता के मन ही मन बड़बड़ाती हुई बोली, अम्मा जी बर्तन तो रात को ही धो दिए थे" रात को बर्तन धो कर रखी थी तो क्या, बर्तन फिर से धो ले। काम करते ही जोर आता है और सुन, सारा दूध डाल देना और वो दही जमा रखा है वो भी अलग केतली में डाल दे। दूसरी गाय बीमार होने के चक्कर में रोज एक ही गाय से दूध मिल रहा है वहां शहर में तो कहाँ ताजी चीज खाने को मिलती होगी उसे" यह सुनकर के कांता के हाथ जहां काम कर रहे थे वहीं रुक गए मन ही मन सोचने लगी, सारा दूध भेजने के लिए कह रही है फिर तो घर में कुछ भी नहीं बचेगा। फिर मेरी तबीयत भी ठीक नहीं रहती। डॉक्टर तक ने मुझे दूध लेने को कहा है। इतना काम करने के बावजूद भी मुझे कुछ भी खाने पीने को नहीं मिलता। माधव और अम्मा जी तो अभी नाश्ते के साथ एक एक गिलास दूध का गटक लेंगे। पर मेरा क्या? मुझे तो चाय भी नहीं पीने देती। कहती है कि चाय पीकर रसोई में काम करेगी तो रसोई झूठी हो जाएगी। आखिर हिम्मत करके अम्मा के पास गयी तो देखा अम्माजी मोबाइल पर बात कर रही थी। कांता को दरवाजे पर खड़ा देख कर बोली।

अरे तो अभी तक यही खड़ी है। जल्दी से दूध केतली में डाल, वहां मालती दूध का इंतजार कर रही है। देख उसका फोन भी आ गया" आखिर हिम्मत कर कांता बोली, पर अम्मा जी सारा दूध भेज देंगे तो घर के लिए दूध नही बच पाएगा" अब क्या करना है दूध का? नाश्ते में सब दूध ले ही लेंगे और कोई मेहमान आए तो पड़ोस की दुकान से मोल ले आएंगे" पर अम्मा जी, मुझे बहुत कमजोरी हो रही है और आपको पता ही है कि डॉक्टर ने कहा था कि सुबह शाम एक गिलास दूध ले लिया करो" हो, कुछ नहीं होता शरीर को जैसा बनाओ वैसा बन जाता है। इसलिए काम चोरी छोड़ कर के जरा जल्दी जल्दी हाथ-पैर चलाओ ताकि शरीर मजबूत बने। और वैसे भी मेरी बच्ची के दूध पर नजर मत मार। भला कभी सुना है कि बहुओं को भी दोनों टाइम दूध पीने को मिलता है" अम्मा ने अपना मोबाइल स्पीकर चालू कर दिया, ले सुन मालती, आजकल की बहू के नखरे" अरे अम्मा! अपनी बहू से तो पूछ कि उसके मायके दूध दही की नदियाँ बहती थी क्या? अरे ससुराल में एशो आराम मिल रहा है तो सिर पर चढ़कर नाच रही है। जरा संभाल के रखना। महारानी की तरह जिंदगी जीने की आदत हो गई है उसे।

कहकर मालती जोर-जोर से हंसने लगी। कांता को अभी भी वहां खड़ा देखकर अम्मा जी बोली, अब भी कुछ सुनना है क्या? जा जाकर अपना काम कर" उस समय तो कांता ने कुछ नहीं कहा। चुपचाप रसोई में जाकर दूध दही केतली में डाल कर दे दिये। लेकिन दिमाग में उसके बहुत कुछ चल रहा था। पूरे दिन का काम यूं ही चलता रहा शाम को अम्मा अपनी आस पड़ोस की महिला मंडली के साथ बैठी पंचायती कर रही थी कि उसी समय मालती का फोन आया, " यह क्या है अम्मा? तुमने गाय मेरे घर क्यों भेज दी" " कौन सी गाय? कैसी बात कर रही है तू?" " अरे वही गाय, जो रामदीन काका मेरे घर के सामने बांधकर चले गए। अरे मैं तो घर पर भी नहीं थी। पीछे से मेरी सास मना करती रही लेकिन रामदीन काका बोले अब मैं गाय लेकर कहां जाऊंगा? मुझे तो आज शहर अपनी बिटिया के घर ही रुकना है। इसलिए वो मेरे घर के बाहर बांधकर चले गए। माधव को भेज कर अभी के अभी गाय वापस लेकर जाओ। यहाँ आस पड़ोस में अच्छा खासा तमाशा हो गया है। ऊपर से मेरे ससुराल वाले भी नाराज है" मालती ने बोलकर फोन बंद कर दिया। इधर, अम्मा उठकर बाड़े की तरफ भागी। देखा तो गाय थी ही नहीं। कांता को आवाज देती देती अम्मा जी घर में आई।

"अरी ओ बहू! बाड़े में से गाय कहाँ गई? " "मालती जीजी के घर " " तेरी हिम्मत कैसे हुई गाय को यहां से वहां भेजने की? उधर मालती को कितनी बातें सुननी पड़ रही है। अंदाजा भी है तुझे?" " जितनी बातें आप दोनों मिलकर मुझे सुनाती है उससे तो कम ही सुननी पड़ रही होगी" " तेरी हिम्मत कैसे हुई गाय को शहर भेजने की?अभी तो मैं बैठी हूं, तू कौन होती हैं फैसला लेने वाली" " वो क्या है ना अम्माजी, दूध दही खाए ननदरानी और गोबर उठाए बहु रानी, ये बात कुछ जँच नहीं रही थी। इसलिए जब रामदीन काका आए और बोले बिटिया शहर जा रहा हूं टेंपो लेकर। कोई सामान मालती के यहाँ भिजवाना हो तो बता दे। तो मैंने सोचा गाय को वही भेज दूँ। जिससे जीजी को इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा और मुझे इतनी ठंड में गोबर भी उठाना नहीं पड़ेगा। और वैसे भी अब हमसे ना होगा यह सब" बड़बड़ाती हुई अम्मा माधव को फोन कर गाय को शहर से लाने का बंदोबस्त करने लगी। आखिरकार माधव गाय को रात को टेंपो से शहर से लेकर आया। गाय को बाड़े में बाँधने के बाद ही अम्मा ने अपने पुराने नौकर को फोन कर दूसरे दिन से काम कर आने के लिए कहा। इधर मालती की सास ने भी मालती को खूब डांट लगाई। लेकिन इस पूरे वाकये में एक फायदा तो हुआ कि अब अम्मा जी को ये समझ में आ गया था कि बहू अब चुप नहीं रहने वाली। इसलिए अब वो खाने-पीने पर भी टोक नहीं करती और बेवजह के तानाकशी भी नहीं करती। राजेश शिवहरे कंट्री इंचार्ज मैगज़ीन फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया 151168597

 

 


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