यूपी हमीरपुर। बुंदेलखंड के दो जिलों के किसानों की जीवनरेखा रही चंद्रावल के सूखने से इसके किनारे बसे गांवों के ग्रामीणों की भी उम्मीदें टूट गई हैं। करीब चालीस साल पूर्व 67 किमी लंबी इस नदी के सहारे दो लाख से अधिक किसानों की रोजी चलती थी। अनदेखी से नदी से सिंचाई को पानी नहीं मिल पा रहा। वहीं नदी के आंचल पर कब्जेदार नजर गढ़ाए हैं। कई लोगों ने नदी को खेत का आकार दे दिया है। तीस साल में बीस मीटर चौड़ी नदी ने पांच मीटर चौड़े नाले का रूप ले लिया है। महोबा के मदनताल समेत अन्य जल क्षेत्र से पानी लेकर निकलने वाली चंद्रावल नदी मौजूदा में सूखी पड़ी है। जहां पुराना आकार है वहां बारिश में नदी का बहाव दिखता है। लेकिन जहां अवैध कब्जा हो चुका हैं वहां पूरी तरह से इसके निशान भी मिटते जा रहे हैं। जिले में सिजनौड़ा गांव के पास कई स्थानों पर ऐसे नजारे देखने को मिलते है। रपटा के निकट जमा सिल्ट के चलते कुछ स्थान में पानी दिखाई देता है। इसके अलावा नदी का आकार नाले जैसा दिखता है। किसानों को सिंचाई के साथ अन्य उपयोग के लिए भी पानी नहीं मिलता। ऐसे में लोग नदी तट पर अतिक्रमण कर रहे है।
टोलामाफ निवासी श्याम गुप्ता के अनुसार तीस साल पहले तक नदी बीस मीटर चौड़ी थी। गहराई भी दस फीट के करीब थी। बरसात में तो नदी पार करना कठिन था, अब तो बीच-बीच में रास्ता बन गया है। जिससे पैदल चलकर आसानी से लोग इसे पार करते है। ऐसे स्थानों पर नदी में खोदाई का कार्य कराया जाना जरुरी है। सिजनौड़ा गांव निवासी श्याम किशोर के अनुसार पहले गांव में 30-40 फिट पर पानी मिल जाता था। कुओं से पानी निकालना आसान रहता था। बरसात के दिनों में तो कुएं से पानी निकालने के लिए रस्सी की जरुरत ही नहीं पड़ती थी। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। नदी सूखने से गांव का जल स्तर गिरा है। कई कुएं जवाब दे गए है। नदी की खोदाई करा जल संरक्षण कराने से जल स्तर ऊपर लाया जा सकता है।
