एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के आदिलाबाद में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा और गृहमंत्री अमित शाह पर जमकर निशाना साधा। ओवैसी ने तीखा हमला किया कि वो बोलते हैं ओल्ड सिटी में सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे। अगर दम है तो चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करो। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मंदिरों के लिए करोड़ों रुपये मंजूर किए गए और वह (अमित शाह) कहते हैं कि स्टीयरिंग मेरे हाथ में है। स्टेयरिंग मेरे हाथ में है तो दर्द क्यों होता है? उनका कहना है कि पुराने शहर में सर्जिकल स्ट्राइक की जाएगी। दम है तो चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करो। इससे पहले, 23 अप्रैल को, कर्नाटक के चेवेल्ला में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 'संकल्प सभा' को संबोधित करते हुए अमित शाह ने असदुद्दीन ओवैसी और केसीआर के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया था।
2020 में एक जनसभा को संबोधित करते हुए तेलंगाना के भाजपा प्रमुख बंदी संजय ने कहा था कि भारत राष्ट्र समिति और ओवैसी की पार्टी जीएचएमसी चुनाव जीतने के लिए रोहिंग्या, पाकिस्तानी और अफगानिस्तानी मतदाताओं की मदद ले रही है। उन्होंने कहा था कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव पाकिस्तान, अफगानिस्तान और रोहिंग्याओं के मतदाताओं के बिना कराए जाने चाहिए। चुनाव जीतने के बाद हम पुराने शहर में सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने कह दिया कि उनके पास सबूत नहीं हैं...जब सीएए का विरोध हो रहा था, जब शाहीन बाग हो रहा था तब सब लोग बैठकर तमाशा देख रहे थे। जब किसानों का आंदोलन हो रहा था तब सब लोग बैठकर तमाशा देख रहे थे। अब देखिए क्या हो रहा है। पहलवानों के मामले पर अब दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को ही बताना होगा।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नए संसद भवन (उद्घाटन के दौरान) के अंदर केवल एक धर्म के लोगों को ले गए। उन्हें सभी धर्मों के लोगों को लेना चाहिए था क्योंकि वह भारत के 130 करोड़ लोगों के पीएम हैं और केवल हिंदुओं के नहीं।
एआईएमआईएम अध्यक्ष ने कहा कि वह दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लड़ाई का समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि आप प्रमुख असली हिंदुत्व का पालन करते हैं। एआईएमआईएम प्रमुख ने केजरीवाल और 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के दौरान भाजपा का समर्थन करने वाले दलों की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उनमें राजनीतिक निरंतरता की कमी है। आप सरकार और भाजपा के बीच विवाद की जड़ राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना करने वाला केंद्र सरकार का अध्यादेश है, जिसने हाल ही में दिल्ली में चुनी हुई सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण देने वाले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को पलट दिया।
