वाराणसी। शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का 107 वीं जयंती है। मंगलवार को सिगरा के फातमान स्थित उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के कब्रगाह पर उन्हें याद किया गया।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जयंती के अवसर पर उनके परिजनों के साथ उनके चाहने वाले और वाराणसी के विभिन्न दलों के नेता दरगाहे फातमान पर पहुंच उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के कब्रगाह पर पुष्प अर्पित कर फातिया पढ़ा ।
21 मार्च वर्ष 1916 में बिहार के डुमरांव में जन्मे उस्ताद बिस्मिल्लाह खां बचपन से ही काशी में आकर रहने लगे।
गंगा - जमुनी तहजीब की मिशाल माने जाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खां काशी में मंगला गौरी और बालाजी मंदिर में शहनाई बजाने का रियाज किया।
शहनाई के साधक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को वर्ष 2001 में भारत रत्न से नवाजा गया। उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजनों की माने तो उस्ताद के दिल में काशी नगरी बसती थी।
अमेरिका से लेकर तमाम स्थानों पर जाकर बिस्मिल्लाह खां ने अपने शहनाई के सुरो ने सभी के दिलो पर राज किया, लेकिन उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने कभी भी काशी को नही छोड़ा ।।
