मोटे अनाज के उपयोग, महत्ता और लाभ के बारे में करेंगे जागरूक
बच्चे, किशोरी, बालिकाओं व महिलाओं के पोषण स्तर में लाएँगे सुधार
वाराणसी । पोषण संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा के उद्देश्य से जनपद में सोमवार से शुरू होकर तीन अप्रैल तक बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के माध्यम से पोषण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसको लेकर राज्य पोषण मिशन की ओर से बाल विकास पुष्टाहार विभाग को पत्र जारी कर सूचित किया गया है। इस पखवाड़ा को सुचारू रूप से संचालन को लेकर विभाग की ओर से तैयारी कर ली गयी हैं। इसके तहत बच्चे, किशोरी, बालिकाओं एवं महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार लाया जाएगा। पखवाड़ा के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के साथ मोटा अनाज को बढ़ावा देने के लिए भी निर्देश दिये गए हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में 20 मार्च से 3 अप्रैल तक मोटे अनाज के प्रति आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से पोषण पखवाड़ा शुरू किया गया है। इसमें ग्राम विकास, पंचायती राज विभाग, आजीविका मिशन, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आयुष विभाग, कृषि विभाग सहित कई विभागों का सहयोग लिया जा रहा है। इस दौरान मोटा अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कुट्टू, सावां, कंगनी, चीना, मक्का आदि के बारे में जनपदवासियों को जागरूक किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इन मोटे अनाजों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व विटामिन की मात्रा अधिक मिलती है। इस पखवाड़ा में स्वस्थ बालक बालिका स्पर्धा के माध्यम से चयनित स्वस्थ बालक बालिका के माता-पिता को सम्मानित करने एवं प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें मोटे अनाज से बने हुए व्यंजन देकर प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा प्रभात फेरी एवं रैली का आयोजन भी किया जाना है। पखवाड़ा के दौरान किशोरी समूह गठित की जाएंगी। साथ ही स्वयं सहायता समूह, ग्राम प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर पोषण पखवाड़ा को बेहतर तरीके से आयोजन करने के बारे में रणनीति बनाई जाएगी। योग के प्रोत्साहन के लिए परिवार को जागरूक भी किया जाएगा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि पोषण पखवाड़ा में जन्म से लेकर छह वर्ष तक के बच्चों की लंबाई, ऊंचाई तथा वजन लेते हुए पोषण ट्रैकर पर फीड करना है। इस गतिविधि से सुपोषित उत्तर प्रदेश की परिकल्पना को साकार करना है। गतिविधि के आयोजन की सफलता में ग्राम प्रधान और पंचायत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस सभी गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य छह वर्ष तक के बच्चों खासकर छह माह से कम उम्र के बच्चे के पोषण स्तर में सुधार लाना, पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना तथा एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाना है।
