मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के उन्हेल थाना क्षेत्र अंतर्गत उन्हेल क्षेत्र में बसंत ऋतु की छटा पलाश के फूलों के बगैर नहीं मानी जाती है, कहीं बसंत ऋतु का राजा तो कहीं होली के फूल के नाम से पहचाने जाने वाले पलाश के पेड़ इन दिनों फूलों से लदे हुए नजर आ रहे हैं क्षेत्र के आस पास व क्षेत्र के जंगल में बड़ी संख्या में पलाश के पेड़ मोजूद है। पलाश के फूल औषधीय महत्व व हर्बल रंगों के रुप में प्रयोग में आते हैं इन दिनों पलाश के फूल लोगों को बरबस ही अपनी और आकृषित कर रहे हैं, बसंत के आगमन पर एक और जहां सभी पेड़ों के पत्ते गिरने लगते हैं। वहीं दूसरी और पलाश के पेड़ पर केसरिया रंग के फूल खिलने लगते हैं वर्तमान में जंगलों में यह पेड़ फूलों से लदे हुए हैं।
आफरों का तालाब जंगल व विभिन्न आस पास के गांवों में खाकरा के पेड़ पर लगे फूल पलाश जहां स्थानीय लोग इसे खांकरा के नाम से जानते है।भारतीय साहित्य और संस्कृति से धना संबंध रखने वाले इस वृक्ष का औषधीय गुण चिकित्सा और स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है। गर्मी में भी अपनी छटा बिखेरने वाले पलाश के फूलों को पहले होली के रंगों में प्रयोग किया जाता था ये त्वाचा को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचाता है, इसे सौंदर्य वर्धक भी माना जाता है।
