पटना। वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी 28 फ़रवरी को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगे। 2005 में सत्ता में आने के बाद से ही नीतीश सरकार हर साल बजट का आकार बढ़ाती रही है। इसी पृष्ठभूमि के आधार पर अगला बजट ढाई लाख करोड़ से अधिक के होने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के लिए दो लाख, 37 हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया गया था। अगले बजट में सरकार की प्राथमिकताएं स्वास्थ, शिक्षा, उद्योग एवं उद्योग में निवेश, कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्र, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं का विस्तार के अलावा विभिन्न वर्गों की कल्याण योजनाओं के आसपास रहने की उम्मीद है। चालू बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र में 16 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान किया था। यह बढ़ सकता है। शिक्षा बजट में भी चालू वित्त वर्ष की तुलना में व्यय बढ़ने की उम्मीद है। यह बढ़ोत्तरी स्थापना मद में हो सकती है, क्योंकि शिक्षकों की नियुक्ति प्रस्तावित है। चालू वित्त वर्ष में शिक्षा के लिए 39 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था। यह कुल बजट का 16.5 प्रतिशत था। ग्रामीण एवं शहरी आधारभूत संरचना के निर्माण पर 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रविधान किया जा सकता है।
राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष से चतुर्थ कृषि रोड मैप लागू करने जा रही है। जाहिर है, इसके लिए सरकार को कृषि बजट में पूर्व की तुलना में अधिक धनराशि का प्रविधान करना होगा। 'हर खेत तक सिंचाई का पानी' यह पहले से चल रही योजना है। जल संसाधन विभाग के नेतृत्व में चल रही इस योजना के लिए भी अधिक धन की जरूरत है।
नहीं मिलेगी जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि
सरकार के लिए राहत की बात यह है कि चालू वित्त वर्ष के बजट की तरह अगले बजट पर कोरोना महामारी की छाया नहीं रहेगी। कोरोना मद में व्यय की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, कई अन्य मदों में अपेक्षा के अनुरूप आमदनी नहीं होने से सरकार के हाथ सख्त रहेंगे।
जीएसटी क्षतिपूर्ति के मद में केंद्र से अगले वित्तीय वर्ष में कोई मदद नहीं मिलेगी। यह सरकार की आय में शुद्ध रूप से सालाना चार से पांच हजार करोड़ रुपये की कमी का कारण बनेगा। राहत इससे मिल सकती है कि देश के स्तर पर जीएसटी से आमद बढ़ रही है। यह केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के मद में बिहार को बढ़े हुए दर पर मिलेगा।
आंतरिक संसाधन बढ़ाने की चुनौती
राज्य सरकार आंतरिक संसाधनों से धन जुटाने की चुनौती से जूझ रही है। बजट के आकार के अनुपात में इस मद में आमदनी नहीं बढ़ रही है। वित्त वाणिज्यकर और निबंधन को छोड़ दें तो राजस्व संग्रहण करने वाले विभाग अपवाद में ही वार्षिक संग्रहण का लक्ष्य हासिल कर पाते हैं।
घाटे की भरपाई
प्रारंभिक अनुमान यही है कि सरकार का राजस्व घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद के तीन से साढ़े तीन प्रतिशत के बीच रहेगा। केंद्रीय बजट में भी राज्यों के राजस्व घाटा को इसी सीमा में रखने की अनमति दी गई है। राज्य सरकार राजस्व घाटे की भरपाई आंतरिक संसाधन बढ़ा कर या कर्ज लेकर करती है। इस मामले में भी राज्य सरकार बहुत हाथ नहीं फैला सकती है। राजीव रंजन स्टेट इंचार्ज बिहार फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया 151018667
