वाराणसी :- प्रतिष्ठित प्रभु नारायण यूनियन क्लब में 2015 में हुए बहुचर्चित गोलीकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पूरक विवेचना रिपोर्ट में संकलित साक्ष्यों पर भी अपराध से उन्मोचित करने की अर्जी पर विचार करना जरूरी है। केवल पहले दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आधार पर उन्मोचित करने की अर्जी खारिज करना सही नहीं है। आगे कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद पेश आरोप से बरी करने की पूरक पुलिस रिपोर्ट चार्जशीट का हिस्सा है, और अभियुक्त की अपराध से उन्मोचित करने की अर्जी की सुनवाई के समय दोनों पुलिस रिपोर्ट पर संयुक्त विचार किया जायेगा। कोर्ट ने जानलेवा हमले की चार्जशीट और पूरक पुलिस रिपोर्ट में जानलेवा हमले से बरी करने की रिपोर्ट पर विचार न करने को अवैध करार दिया है, और डिस्चार्ज अर्जी खारिज करने के विचारण अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है । यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने वाराणसी कैंट थाना क्षेत्र में स्थित पी एन यू क्लब के तत्कालीन सचिव अशोक वर्मा की पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता मनीष सिंह ने तर्क दिया कि अग्रिम विवेचना रिपोर्ट में संकलित साक्ष्यों पर उन्मोचन अर्जी की सुनवाई के समय विचार करना जरूरी है।मात्र पूर्व में दाखिल चार्जशीट पर ही विचार कर अर्जी निरस्त नहीं की जा सकती। इनका कहना था कि क्लब में एक कार्यक्रम के दौरान शिकायतकर्ता आदित्य राठी एवं आशीष राठी एक महिला के साथ अभद्रता कर रहे थे, जिसका विरोध करने पर इनका क्लब के सचिव अशोक वर्मा से झगड़ा हुआ और इन्होंने अशोक वर्मा पर गोली चला दी जो उनकी उंगली में लगी। दोनों तरफ से एफआईआर करायी गयी, और दोनों की पिस्टल बैलेस्टिक जाँच में भेजी गयी। जिसकी जाँच रिपोर्ट से स्पष्ट हो चुका है कि गोली अशोक वर्मा की नही बल्कि राठी की पिस्टल से चली है, किन्तु इसके बाद भी अशोक वर्मा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गयी। जिसकी शिकायत अशोक वर्मा द्वारा पुलिस महानिदेशक से की गई और उनके आदेश पर हुई पुनः विवेचना में बैलेस्टिक जांच रिपोर्ट में पिस्टल से फायर नहीं होने की रिपोर्ट एवं स्वतंत्र गवाहों के बयान के आधार पर पुलिस ने पूरक रिपोर्ट में याची को केवल मारपीट करने का आरोपी बनाया।
रविन्द्र गुप्ता डिस्ट्रिक्ट इंचार्ज वाराणसी 151009219