वाराणसी । मान्यता है कि पूर्वांचल के अन्नदाता किसान पहली फसल मां अन्नपूर्णा को अर्पित करते हैं। इन्हीं की बालियों से भगवती का भव्य श्रृंगार किया जाता है। पूरे पूर्वांचल से किसान अपनी धान की बालियों को देवी के श्रृंगार के लिए भेजते हैं। अन्न की देवी भगवती अन्नपूर्णा का धान की बालियों से श्रृंगार किया गया। इन बालियों से मंगलवार को मध्याह्न भोग आरती के बाद माता के गर्भगृह में श्रृंगार हुआ। बीती रात में पूरे मंदिर प्रांगण को सजाया गया। 13 नवंबर से यह महा व्रत आरम्भ हुआ जिसका समापन मंगलवार को हुआ। व्रत उद्यापन करने के लिए भक्तों का ताता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने 21, 51,101और 501 परिक्रमा कर अपने मन्नतों की हाजरी लगाई। मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए सुबह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रही। महंत शंकरपुरी ने बताया कि माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी हैं। पूर्वांचल के किसानों की पहली फसल मां को अर्पित करते हैं। इन्ही धान की बालियों से माता का श्रृंगार किया गया। कई दशक से पूरे पूर्वांचल से किसान अपनी धान की बालियों को देवी के श्रृंगार के लिए भेजते हैं। देवी के श्रृंगार में लगे इन धान की बालियों को श्रृंगार के अगले दिन प्रसाद स्वरूप भक्तों में विरतण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि धान के इन बालियों को घर के अन्न के भंडारे में रखने से कभी अन्न की कमी नहीं होती है। काशी के पुराधिपति बाबा विश्वनाथ ने भी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। माता का ही आशीर्वाद है कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोता है।