नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय एक समान रेंज में गिनी जाने वाली परिसम्पतियों के बीच समानता लाकर लंबी अवधि के कैपिटल गेन टैक्स को युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर रहा है। इंडेक्स बेनिफिट की गणना के लिए आधार वर्ष में संशोधन कर इसे और प्रासंगिक बनाया जा रहा है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। वर्तमान में, एक वर्ष से अधिक के लिए रखे गए शेयरों पर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर 10 प्रतिशत कर लगता है। अचल संपत्ति की बिक्री 2 साल से अधिक के लिए गैर-सूचीबद्ध शेयरों और 3 साल से अधिक के लिए रखे गए ऋण उपकरणों और आभूषणों की बिक्री से होने वाले लाभ पर 20 प्रतिशत कैपिटल गेन टैक्स लगता है। राजस्व विभाग अब लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ की गणना के लिए कर दरों के साथ-साथ होल्डिंग अवधि को युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर रहा है। 1 फरवरी को संसद में पेश होने वाले 2023-24 के बजट में इसकी घोषणा संभव है। अधिकारी ने कहा कि मुद्रास्फीति से समायोजित किए जाने वाले कैपिटल गेन टैक्स के आधार वर्ष में बदलाव पर भी विचार किया जा रहा है। पूंजीगत लाभ कर गणना के लिए आधार वर्ष को समय-समय पर संशोधित किया जाता है, ताकि इसे और अधिक प्रासंगिक बनाया जा सके। पिछला संशोधन 2017 में हुआ था जब आधार वर्ष को 2001 कर दिया गया था। चूंकि परिसंपत्तियों की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं, इसलिए इन्डेक्शन का उपयोग कर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ की गणना करने के लिए परिसंपत्तियों का मूल्य महंगाई के हिसाब से आंका जाता है। यह पूरा प्रयास कैपिटल गेन टैक्स ढांचे को सरल और करदाता के अनुकूल बनाने के लिए किया जाता है। आयकर अधिनियम के तहत, पूंजीगत चल और अचल संपत्ति की बिक्री से लाभ 'पूंजीगत लाभ कर' के अधीन हैं। अधिनियम में कार, वस्त्र और फर्नीचर जैसी चल व्यक्तिगत संपत्ति की गणना नहीं होती। संपत्ति रखने की अवधि के आधार पर शार्ट या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाता है। अधिनियम दोनों श्रेणियों के लाभ के लिए करों की अलग-अलग दरों का प्रावधान करता है। गणना की विधि भी दोनों श्रेणियों के लिए अलग-अलग है।