कोई तोहफा ना मिला आज तक,
आज फूल ही फूल दिए जा रहे हैं।
जिंदगी में 2 मिनट कोई मेरे पास न बैठा,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे हैं।
तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए,
और आज कंधे से कंधे दिए जा रहे हैं।
दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई,
और आज काफिला बनाकर साथ चले जा रहे हैं।
आज पता चला कि मौत कितनी हसीन होती है,
कमबख्त हम तो यह वही जिंदगी जिए जा रहे थे। मेहनगर रमेश चंद शर्मा की रिपोर्ट 151119163
