मुश्किल जरूर है, मगर ठहरा नहीं हूं मैं,
मंजिल से जरा कह दो ,अभी पहुंचा नहीं हूं मैं.
कदमों को बांध ना पाएगी, मुसीबत की जंजीरें,.
रास्तों से जरा कह दो, अभी भटका नहीं हूं .
सब्र का बांध टूटेगा तो ,फना कर के रख दूंगा मैं,
दुश्मन से जरा कह दो ,अभी गरजा नहीं हूं मैं.
साथ चलता है ,दुआओं का काफिला,
किस्मत से जरा कह दो, अभी तन्हा नहीं हूं मैं.
मेहनगररमेश चंद शर्मा की रिपोर्ट 151119163