झारखण्ड के धनबाद जिले के झरिया से जहाँ मजदूरों का कहना है की मजदूर हूं लेकिन मजबूर नहीं, मैं मजदूर हूं यह कहने में मुझे शर्म नहीं, अपने पसीने की खाता हूं, मैं मिटटी को सोना बनाता हूं. हां मैं मजदूर हूं और यह कहने में मुझे शर्म नहीं. आज दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है, इतिहास के पन्नों पर जिस तरह से मजदूरों ने अपने खून से जो इतिहास लिखा है ,उसे आज पूरा विश्व याद करके अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मना रहे हैं, इसी क्रम में आज झरिया के पाथरडीह अजमेरा बंगाली कोठी के 9 नंबर यूनियन ऑफिस के समीप छात्र नेता ऋतिक रजक के नेतृत्व में दर्जनों युवकों ने शहीद मजदूरों की याद में झंडा तोलन किया ,छात्र नेता ऋतिक रजक कहां की आज अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी, इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ था, यह बम किस ने फेंका किसी का कोई पता नहीं, इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चला दी जिससे सात मज़दूर मार दिया गया, इन घटनाओं का अमेरिका पर एकदम कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन कुछ समय के बाद अमेरिका में 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था,मौजूदा समय भारत और अन्य मुल्कों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करने से संबंधित क़ानून लागू किया गया | देखे झरिया से सिंधु कुमार की रिपोर्ट
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