कहां तकयह गम के अंधेरेछलेगे,
उदासी भरे दिन कहीं तोढलेगे:
कभी सुख कभी दुख यही जिंदगी है,
यह पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी है:
नए फूल कल फिर डगर पर खेलेंगे,
उदासी भरे दिन कहीं तो ढलेगे:
भले तेज कितना हवा का हो झोंका,
मगर अपने मन में यह रख तू भरोसा:
जो बिछड़े सफर में तुझे फिर मिलेंगे,
उदासी भरे दिन कभी तो कटेंगे: