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साठा धान पर जारी रहेगी रोक...नर्सरी डाली तो कड़ी कार्रवाई तय 17-18-08
  • 151161047 - SUSHIL KUMAR 0



यूपी का शाहजहांपुर जिला पुवायां साठा धान लगाने पर रोक जारी रहेगी। किसी किसान ने साठा धान की नर्सरी डाली तो कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने इसके लिए तैयारी कर ली है।पुवायां तहसील क्षेत्र में कृषि भू-भाग के कुल 35 प्रतिशत भाग पर साठा धान की खेती की जाने लगी थी। कहने को तो यह साठा साठ दिन में तैयार होने वाली फसल है, लेकिन इसके तैयार होने में लगभग 90 दिन का समय लग जाता है। इसकी सिंचाई के लिए पानी के अंधाधुंध दोहन से भूगर्भीय जलस्तर में लगातार गिरावट आने से हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया था।खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसलों की उत्पादकता नहरों या फिर संरक्षित भूगर्भ जल की उपलब्धता पर आश्रित होती है। धान में पानी में सर्वाधिक खपत प्रति स्क्वायर वर्ग मीटर 50 से 60 गैलन तक होती है। यही नहीं, धान के खेत में पानी खड़ा (भरा) रखना पड़ता है। इस सीजन में उड़द, मूंग जैसी दलहनी फसलें पानी कम पीती हैं, लेकिन गन्ना, मक्का और मैंथा को अधिक पानी चाहिए। साठा धान भी काफी मात्रा में भूगर्भ जल खींच रहा था। मामले के तूल पकड़ने पर पिछले वर्ष जिलाधिकारी ने साठा धान लगाने पर पाबंदी लगा दी थी और साठा धान नहीं लगने दिया गया था। प्रतिबंध के बाद सकारात्मक परिणाम सामने आए और भू-गर्भ जलस्तर बढ़ने लगा है।

इसलिए लगा साठा पर प्रतिबंध

चावल का दाना छोटा होने के कारण चाइनीज धान के नाम से मशहूर साठा अधिक पानी लेकर शीघ्र पकने वाली प्रजाति है। यह प्रजाति आर्थिक लाभ भले ही दे रही थी, लेकिन इससे भू-गर्भ जल संपदा की हानि हो रही थी। साठा उत्पादन की अधिकता के कारण पंजाब और हरियाणा का भू-गर्भ जल स्तर सामान्य से 20 गुना नीचे चला गया था। इस कारण दोनों प्रदेशों में साठा पर प्रतिबंध लगा दिया था। गत वर्ष से शाहजहांपुर जिले में भी साठा प्रतिबंधित कर दिया था।

राइस मिल मालिक और किसान दे रहा बढ़ावा

पुवायां क्षेत्र में साठा धान की रोपाई के लिए राइस मिल मालिक और गंगसरा के एक किसान का नाम चर्चा में है। पुलिस तक भी यह जानकारी पहुंची है। साठा धान नहीं लगने से राइस मिल को धान कम मिल पाता है। प्रशासन लेखपालों के माध्यम से साठा धान की नर्सरी डले जाने की जानकारी जुटाने में लगा है।

जिलाधिकारी के आदेशानुसार वर्ष 2019-20 से साठा धान लगाने पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसमें हर चौथे, पांचवें दिन सिंचाई होने से अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है। इससे भू-गर्भ जल का अत्यधिक दोहन होता है। जल स्तर नीचे जा रहा था। साठा धान की रोपाई से भविष्य में पेयजल संकट हो सकता है। इसकी रोपाई प्रतिबंधित होने के बाद भी कोई भी साठा की नर्सरी डालता है तो किसान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।सुशांत श्रीवास्तव, एसडीएम। थाना पुवाया संवाददाता सुशील कुमार की रिपोर्ट 


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