ज़ख्मों की बहार...
तुमने जो दिल के अँधेरे में जलाया था कभी,
वो दिया आज भी सीने में जला रखा है,
देख आ कर दहकते हुए ज़ख्मों की बहार,
मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है।
जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई,
तब तब मेरे पैरों में ज़ंजीर नजर आई,
निकल पड़े इन आँखों से हजारों आँसू,
हर आँसू में आपकी तस्वीर नजर आई।