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बॉर्डर से जिंदगी की जंग जीतकर लौटा सेना का जवान
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(फास्ट न्यूज इंडिया रिपोर्टर रामनिवास वर्मा आगरा) बॉर्डर से जिंदगी की जंग जीत कर लौटे सेना के जवान का हुआ जगह-जगह स्वागत पिनाहट। भारतीय सेना में जम्मू कश्मीर पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात क्षेत्र के एक जवान ने 5 गोली लगने के बाद भी दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए गोली लगने के बाद सेना के अस्पताल से बुधवार को इलाज करा कर घर लौटे सेना के जवान का क्षेत्र के लोगों ने जगह-जगह जोशीला स्वागत किया क्षेत्र के लोगों ने दिल्ली से लौट रहे सेना के जवान जितेंद्र के साथ अरनोटा से मुख्य मार्ग होते हुए बसई अरेला , शाही पुरा, भदरौली, जरार, वाह, चित्राहट से रैली निकाली ग्रामीणों ने जगह-जगह स्वागत सत्कार किया सेना के जवान जितेंद्र के गांव मलिया खेड़ा तक करीब एक सैकड़ा छोटे-बड़े वाहन व सैकड़ों युवा जितेंद्र गुर्जर जिंदाबाद के नारे लगाते हुए साथ चल रहे थे करीब 1 किलोमीटर वाहनों की लंबी कतार के साथ सेना के जवान का लोगों द्वारा जगह-जगह जोशीला स्वागत किया जा रहा था वाह पहुंचे सेना के जवान जितेंद्र का पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष दिवाकर सिंह गुर्जर के आवास व शहीद इंद्रजीत सिंह के समाधि स्थल व शैलेंद्र गुर्जर के प्रतिष्ठान पर जोशीला स्वागत किया गया क्षेत्र के लोगों द्वारा मिले प्यार और सम्मान को देखकर जितेंद्र भावुक हो गए और आंखों से आंसू झलक गए घायल जवान ने सुनाई आपबीती दुश्मनों को कैसे दी मात जितेंद्र 2017 में इंडियन आर्मी शिवपुरी मध्य प्रदेश से भर्ती हुए थे ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जितेंद्र की तैनाती जम्मू कश्मीर के सोफिया जिले पाकिस्तान के बॉर्डर पर हो गई 25 दिसंबर को गश्त के दौरान गश्त कर रहे 4 जवानों पर आतंकवादियों ने हमला बोल दिया जिसमें जितेंद्र का एक साथी गोली लगने से शहीद हो गया दुश्मन ने जितेंद्र को भी निशाना बनाया दुश्मन की 5 गोलियां खाकर जितेंद्र ने घायल अवस्था में पाकिस्तान के चार दुश्मनों को ढेर कर दिया जितेंद्र ने बताया मेरे कमर और पैर में 5 गोलियां लगी थी एक दुश्मन सैनिक ने मेरे सीने को निशाना बनाकर फायरिंग की थी लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी जो गोली जैकेट को छूकर निकल गई मौत ने हमें चारों तरफ से घेर रखा था जितेंद्र ने बताया जब मैं घायल होकर लेट गया तो दुश्मनों ने सोचा कि मेरी मौत हो चुकी है मैं मरा या नहीं मरा यह चेक करने के लिए उन्होंने पहाड़ी से कुछ और फायरिंग की लेकिन मैंने उन्हें यह एहसास कराया कि मेरी मौत हो चुकी है जब दुश्मनों की टीम नजदीक आई तो मैंने एक ग्रेनेड उठाया और दुश्मनों पर फेंक दिया इसके बाद मैंने राइफल उठाई और दो दुश्मनों को ढेर कर दिया इसके बाद में घूम घूम कर चारों तरफ से फायरिंग करने लगा ताकि दुश्मनों को लगे कि और भारतीय सैनिक वहां पहुंच चुके हैं उन्हें पता था कि हम चार लोग हैं गोली से कोई हताहत नहीं हुआ है वरना वह मुझे मार सकते थे बाद में पहुंचे अन्य सैनिकों की मदद से इलाज के लिए ले जाया गया बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे जितेंद्र किसान राजपथ गुर्जर निवासी मलिया खेड़ा के तीन पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र जितेंद्र बचपन से ही सेना में भर्ती होने के सपने देखते थे सेना में तैनात अन्य जवान जब छुट्टी लेकर गांव आते थे तो जितेंद्र उनसे सेना में भर्ती होने की बात किया करता था बचपन से ही सेना में जाने की सपने पाले हुए जितेंद्र युवा हो गए 2017 में शिवपुरी मध्य प्रदेश में निकली सेना की भर्ती में जितेंद्र ने परीक्षा दी और जितेंद्र भर्ती हो गए वही जितेंद्र की बटालियन में उनकी गिनती स्पेशलिस्ट पैरा कमांडो में होती है चचेरा भाई भी सेना में तैनात जितेंद्र का चचेरा भाई हरवीर सिंह पुत्र पान सिंह पैरामिलिट्री फोर्स जम्मू में है तैनात वही दोनों छोटे भाई भी सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं देश सेवा का जज्बा पूरे परिवार में कूट-कूट कर भरा है

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