सेल्फी वाली मानवता
- 151130382 - BHAWANI DEEN
0
"नेकी कर दरिया में डाल" यह कहावत तो हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं परंतु आज के दौर में इसके अर्थ को बदलकर अब "नेकी कर और सोशल मीडिया में डाल" के रूप नई पहचान मिली है। समाज में दो तरह के लोग होते हैं एक वह जो संपन्न रूप से दो वक्त का भोजन आराम से प्राप्त करते हैं परंतु दूसरे वे जो किसी प्राकृतिक आपदा के परिणामतः एक वक्त का खाना भी बड़ी मिन्नतों से प्राप्त करते हैं। वर्तमान समय में देखा गया है कि जिस प्रकार कोरोना वायरस(covid-19) के कारण देश में हर वर्ग अत्यंत प्रभावित हुआ, जिसका सीधा प्रभाव उन लोगों पर दिखा जो प्रतिदिन कमा कर खाने का कार्य करते थे। इस लॉकडउन की स्थिति में उन्हें हर प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण भोजन की प्राप्ति थी,सरकार ने अपने स्तर से महत्वपूर्ण कदम उठाएं तथा छोटे स्तर पर जिस प्रकार से लोगों ने भावनात्मक व आर्थिक रूप से लोगों तक उन सभी जरूरत की वस्तुओं को पहुंचाने का कार्य किया। यह आपसी एकता की मिसाल दिखाती है। जिसने नैतिक मूल्यों के काव्य के रूप एक नया अध्याय लिखा, परंतु इसी समय कुछ ऐसे लोगों को भी देखा गया जिन्होंने इस अवसर पर भी अपनी मानवता की चादर को अलग रखकर दिखावे की पगड़ी को सर पर बांध लिया,वह लोग इतना भी नहीं समझ पाए कि आज वे जिनकी मदद कर रहे हैं वे कोई भिखारी नहीं है अपितु वक्त की ठोकर से घायल वे लोग हैं जो स्वाभिमान से जीवन को जीते हैं और आज की भयावह स्थिति से परेशान है। अतः किसी व्यक्ति का सहयोग करते समय उसके साथ फोटो खींचना और सोशल मीडिया के रास्ते दुनिया को यह दिखाना की आप उनकी मदद कर रहे है,क्या यह नैतिक है।
लेख-भवानीदीन यादव