भारतीय कृषि सैनिक"किसान"
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भारत एक कृषि प्रधान देश है, देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण रूप प्रदर्शित होता है देश की सबसे बड़ी जरूरत भोजन की प्राप्ति कृषकों के माध्यम से ही पूर्ण होती है। परंतु प्राचीन समय से लेकर वर्तमान परिवेश में भी सबसे शोषित समाज के रूप में किसानों को ही देखा जाता है। एक किसान द्वारा 24 घंटे की कड़ी मेहनत के फलस्वरुप उनका एक तिहाई भी पूर्णता लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है, शोषण की स्थिति इतनी भयावह है कि फसल को मंडी तक ले जाने और आढ़तियों व दलालों के चंगुल में फंसने तक लाभ का प्रतिशत इतना नीचे गिर जाता है कि वह अपनी जरूरतों का एक भाग भी पूर्ण नहीं कर पाता है। चंपारण सत्याग्रह से लेकर जीवन के आखिरी क्षण तक महात्मा गांधी के चिंता के केंद्र में लगातार देश के अन्नदाता किसान ही रहे हैं। 1948 की प्रार्थना सभा में उन्होंने कहा था कि यदि मेरी चले तो मेरे देश का गवर्नर जनरल किसान होगा, बड़ा वजीर भी किसान ही होगा और किसानों के लिए जितना भी किया जाए वह उनके हक को देर से दिए जाने के बराबर होगा।
लेख- भवानीदीन यादव