कोरोना संकट और खाद्य सुरक्षा
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खाद्य सुरक्षा का अर्थ है सभी को पर्याप्त मात्रा में उचित पौष्टिक भोजन निरंता के साथ प्राप्त हो, संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में सतत विकास लक्ष्य को निर्धारित किया जिसमें 17 प्रमुख लक्ष्य रखे गए हैं और 2030 तक इनको प्राप्त करना है जिसमें सबसे प्रमुख लक्ष्य है पूरे विश्व में ज़ीरो प्रतिशत भुखमरी के लक्ष्य को प्राप्त करना है भारत सरकार ने 16 अक्टूबर 2017 को जीरो हंगर कार्यक्रम को शुरू किया , परंतु भारत में खाद्य असुरक्षा की स्थिति बनी हुई है जिसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार सिद्ध किया जा सकता है, 2019 में जारी हुई वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत को 102 मी रंक प्राप्त हुई , इस सूचकांक में कुल 117 देशों को शामिल किया गया,इस स्थिति से भारत की रैंक बहुत ही चिंतनीय है अगर रिपोर्टों पर नजर डाले तो खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट जो द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड के अनुसार विश्व में 820 मिलियन लोग तथा भारत में लगभग 195.9 मिलियन लोग भुखमरी से ग्रस्त है "यूनिसेफ"की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख बच्चों की मृत्यु कुपोषण से हो जाती है जो विश्व में सबसे ज्यादा है "राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे" के अनुसार भारत में 15 से 49 वर्ष आयु की 53% महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं,5 वर्ष की आयु वाले 37% बच्चे बाल ठिगनापन से और 5 वर्ष आयु वाले 35% बच्चे बाल दुबलापन के शिकार हैं वहीं 5 वर्ष आयु वाले लगभग 48% बच्चे रक्त की कमी के शिकार भी हैं,अगर "आर्थिक सर्वे रिपोर्ट" 2018 के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता में भी कमी को देखा गया है यह1999 में 510 ग्राम थी, जो 2018 में घटकर 477 ग्राम ही रह गई है, "द इकोनॉमिक टाइम्स 2018" के अनुसार भारत की बढ़ती जनसंख्या के लिए 2050 तक 333 मिलियन टन खाद्यान्न की आवश्यकता पड़ेगी,जबकि वर्तमान में भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2018 में 281 मिलियन है| इसी रिपोर्ट में यह उल्लेखित किया गया है कि वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में एक से डेढ़ डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होगी,जिसका सीधा असर गेहूं व चावल पर पड़ेगा और अगर सबसे गंभीर रिपोर्ट पर नजर डाली जाए तो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के फसल अनुसंधान इकाई द्वारा 14 प्रमुख कृषि क्षेत्रों तथा 120 जिले में सर्वे किया गया| इस रिपोर्ट में यह कहा गया था कि भारत में प्रति वर्ष 67 मिलियन टन खाद्यान्न अच्छे रखरखाव के अभाव में बर्बाद हो जाते हैं जिसका मूल्य लगभग 92000 करोड रुपए होता है इस प्रकार प्रतिवर्ष भारत में 30 से 32% सब्जियां व 10 से 12% अनाज अच्छे रखरखाव में अभाव में नष्ट हो जाते हैं उपर्युक्त रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत में वर्तमान में खाद्य सुरक्षा की स्थिति अति चिंताजनक व भविष्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है वैसे तो भारत कृषि प्रधान देश है परंतु अगर एनएसएसओ के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 2001 से लेकर 2011 तक लगभग 90 लाख किसानों ने भारत में कृषि करना छोड़ दिया क्योंकि कृषि अब उनके लिए लाभकारी नहीं है। सरकार लगातार किसानों के हितों के लिए प्रयासरत हैं अतः जल्द से जल्द इन सब समस्याओं का समाधान करके भारत की खाद्य सुरक्षा को एक अच्छी स्थिति में लाना अति आवश्यक अनिवार्य है।
लेख-भवानीदीन यादव