पितरों की होगी बिदाई आज कैसे करें अंतिम श्राद्ध
- 151108006 - MANOJ PATHAK
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पितरों की होगी विदाई आज कैसे करें अंतिम श्राद्ध
सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को प्रतिवर्ष बनाई जाती है ज्योतिष आचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार यह 16 दिन हमारे पितरों के विदाई का अंतिम दिवस होता है इस कारण से से पित्र विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है इस बार यह दिवस गुरुवार 17 तारीख को अमावस्या पड़ रही है जिसमें विशिष्ट योग के कारण इसका महत्व भी अधिक बढ़ जाता है शास्त्रों के अनुसार गुरुवार को भगवान विष्णु का दिवस होता है जिन का पूजन किया जाता है और स्वयं भगवान विष्णु सब को मोक्ष प्रदान भी हैं विशेष बात यह है भगवान विष्णु ने भी अमावस्या को ही श्राद्ध किया था यहां ध्यान देने बात यह है जिन लोगों को मृत्यु की तिथि नहीं पता होती है उनको इस अमावस्या के दिन ही श्राद्ध करना चाहिए सनातन धर्म के अनुसार हमारे पित्र पूर्णमासी से अमावस्या तक पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपनी संतति से अपने भौतिक चीजों की प्राप्ति करते हैं इस समय में यमराज भी पितरों की आत्मा को मुक्ति प्रदान करते हैं श्राद्ध से प्रसन्न होकर अपने परिवार को खुशियां प्रदान करते हैं जिसके फलस्वरूप परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं अतः श्राद्ध अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व है विशेषकर करणी कार्य यह है कि आज के दिन दूध का बना पकवान एवं श्रद्धा अनुसार पकवान बनवाकर केले के पत्ते पर एवं मिट्टी के किसी पात्र में है जल लेकर दो स्थानों पर निकालकर क्रमशः पीपल और बरगद को समर्पित कर अर्पण करें पितरों का आव्हान करें और यह दोनों भोजन पात्र वहीं छोड़ दें तत्पश्चात गाय कौवा कुत्ता चींटी को निकाल कर के भोजन दें उपरांत पितरों के निमित्त ब्रह्मभोज करा कर यथासंभव वस्त्र आदि समर्पित करें/ तत्पश्चात देव यम एवं पितरों को जल दान करना चाहिए सायं काल में दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार पर एवं एक दीपक एवं एक लोटा जल दक्षिण दिशा में मुंह करके अपने पितरों का आव्हान कर प्रार्थना करें कि आप हमें आशीर्वाद देकर अपने लोक को पधारें हमारे परिवार को खुशहाल एवं स्वस्थ बनाने का आशीर्वाद प्रदान करें तत्पश्चात यह वाला दीपक और जल किसी पीपल के पेड़ पर चढ़ा देना चाहिए एवं दीपक को रख देना चाहिए/