मुख्यमंत्री निवास पर तीजा-पोरा तिहार मनाया गया ।
- 151109661 - SHIVANG PANDEY
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छत्तीसगढ़ के सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री आवास में तीजा-पोरा तिहार (तीजा-पोला त्योहार) मनाया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल के साथ कार्यक्रम में शामिल होकर भगवान शिव, नांदिया बैला और जाता-पोरा की पूजा की। दोनों ने प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। सीएम ने जस गीत ( देवी भजनों) पर ढोलक बजाकर डांस भी किया। कार्यक्रम स्थल पर मौजूद महिलाओं को इस मौके पर उपहार भी दिए गए। सीएम हाउस में गांव के मेले की तरह झूले भी लगाए गए थे। कोंडागांव के अध्यक्ष मोहन मरकाम और मंत्री ताम्रध्वज साहू इनका लुत्फ लेते दिखे।
छत्तीसगढ़:मुख्यमंत्री निवास पर तीजा-पोरा तिहार मनाया गया, जस गीत पर ढोलक बजाकर थिरके भूपेश बघेल
रायपुरएक घंटा पहले
तस्वीर रायपुर की है। भूपेश बघेल इस अंदाज में दिखे। सरकार से जुड़े कई चेहरे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे थे।
सीएम हाउस को गांव की तरह सजाया गया, झूले भी लगाए गए
कई जनप्रतिनिधि पहुंचे कार्यक्रम में, सीएम ने किसानों को दी बधाई
सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री आवास में तीजा-पोरा तिहार (तीजा-पोला त्योहार) मनाया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल के साथ कार्यक्रम में शामिल होकर भगवान शिव, नांदिया बैला और जाता-पोरा की पूजा की। दोनों ने प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। सीएम ने जस गीत ( देवी भजनों) पर ढोलक बजाकर डांस भी किया। कार्यक्रम स्थल पर मौजूद महिलाओं को इस मौके पर उपहार भी दिए गए। सीएम हाउस में गांव के मेले की तरह झूले भी लगाए गए थे। कोंडागांव के अध्यक्ष मोहन मरकाम और मंत्री ताम्रध्वज साहू इनका लुत्फ लेते दिखे।
इसलिए मनाया जाता है यह त्योहार
तस्वीर सीएम हाउस की है। मिट्टी के बैलों की पूजा की गई।
तस्वीर सीएम हाउस की है। मिट्टी के बैलों की पूजा की गई।
इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पोला तिहार छत्तीसगढ़ की परम्परा, संस्कृति और लोक जीवन की गहराइयों से जुड़ा है। इस त्यौहार में उत्साह से बैलों और जाता-पोरा की पूजा कर अच्छी फसल और घर को धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए प्रार्थना की जाती है। यह त्यौहार हमारे जीवन में खेती-किसानी और पशुधन का महत्व बताता है। यह पर्व बच्चों को हमारी संस्कृति और परम्पराओं से परिचय कराने का भी अच्छा माध्यम है। घरों में प्रतिमान स्वरूप मिट्टी के बैलों और बर्तनों की पूजा कर बच्चों को खेलने के लिए दिया जाता है,जिससे बच्चे अनजाने ही अपनी मिट्टी और उसके सरोकारों से जुड़ते हैं।