चुनावी दावों के बीच पीस रहे किसान
छत्तिसगढ में मगरलोड ब्लॉक के किसानों ने नहर पानी के भरोसे बड़े रकबे में रबी फसल लगाई थी, लेकिन उम्मीद के विपरीत नहर से पर्याप्त मात्रा में सिंचाई पानी न मिलने के कारण धान फसल चौपट हो गई। अब किसान माथा पीट रहे हैं। किसानों का कहना है कि फसल सूख कर मर चुकी है। अब नहर से पानी भी मिल जाए तो कोई फायदा नहीं होगा। यही वजह है कि किसानों ने अपने खेतों को मवेशियों के चरने के लिए खुला छोड़ दिया है। गांव के सार्वजनिक जगहों में, रेग में जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों की दयनीय दशा की चर्चा हो रही है। अंचल के ग्राम करेली बड़ी, भैसमुंडी, गिरौद, कुंडेल, धौराभाठा, मेघा समेत आसपास के गांवों में इस बार कई किसानों ने रेग में जमीन लेकर रबी सीजन में धान की बोवाई की। चुनावी वायदे के मुताबिक सरकार द्वारा नहर पानी देने की आस में किसानों ने फसल लगाई। खेतों की मताई, जोताई, सफाई, निदाई, खाद-बीज के लिए हजारों रुपये किसानों ने खर्च किया। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पानी दिया जा रहा है, लेकिन पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी सीजन में धान उत्पादन किया जा रहा है। इसलिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया।