EPaper SignIn
तिरुवनंतपुरम - अगर कांग्रेस कुछ नहीं तो पीएम मोदी डरते क्यों हैं.... दूसरे चरण के चुनाव से पहले खरगे ने बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा     नई दिल्ली - Umang APP से चंद मिनटों में निकाल पाएंगे PF का पैसा     नई दिल्ली - आज घोषित होंगे एमपी बोर्ड हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री के नतीजे, MPBSE अध्यक्ष करेंगे घोषणा     नई दिल्‍ली - हम अपनी कमजोरी नहीं, इस कारण हारे, Ruturaj Gaikwad ने शिकस्‍त के लिए ठहराया दोषी     आगरा - ब्रज में लापता ‘जातियों का गुरूर’ कहीं विकास के सुबूत से आस तो कहीं चेहरा पैरोकार     नई दिल्ली - RBI ने महाराष्‍ट्र के इस बैंक पर लगा दीं कई पाबंदियां, खातों से एक रुपया भी नहीं निकाल सकेंगे ग्राहक    

एनडी तिवारीः नैनीताल का चुनाव न हारते तो बन जाते प्रधानमंत्री, नरसिम्हा राव बांध चुके थे बोरिया-बिस्तर
  • 151000001 - PRABHAKAR DWIVEDI 0



नई दिल्ली: Narayan Datt Tiwari: वर्ष 1991 का लोकसभा चुनाव...यानी राजीव गांधी की हत्या के बाद का चुनाव. 21 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान ही श्रीपेंरबदूर में राजीव गांधी की हत्या हुई थी.इस वजह से कांग्रेस के पाले में अभूतपूर्व सहानुभूति की लहर दौड़ रही थी. कांग्रेस को बहुमत नसीब हुई थी. उस वक्त सोनिया राजनीति में भी नहीं उतरीं थीं. लालबहादुर शास्त्री के बाद यह दूसरा मौका था, जब गांधी खानदान से इतर किसी व्यक्ति के प्रधानमंत्री की गद्दी पर बैठने का अनुकूल मौका था. जिंदगी में तमाम चुनाव जीतने वाले एनडी तिवारी(N.D Tiwari) ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अपार सहानुभूति वाले इस माहौल में भी वह एक नए-नवेले भाजपाई चेहरे बलराज पासी से चुनाव हार जाएंगे. तब बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट भी नैनीताल लोकसभा सीट में आती थी. उस चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर तिवारी ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया, मगर बहेड़ी विधानसभा में मिले कम वोट ने उन्हें भाजपा के बलराज पासी से हरा दिया. उस चुनाव में बलराज पासी को जहां 167509 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के एनडी तिवारी को 156080 वोट मिले. क्यों हारे थे चुनाव वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी को दिए एक इंटरव्यू में एनडी तिवारी की बातों से पता चलता है कि उन्हें नैनीताल चुनाव की हार हमेशा सालती रही. वजह कि इस चुनाव के कारण ही वह प्रधानमंत्री बनने से चूक गए थे. इंटरव्यू में एनडी तिवारी ने हार के पीछे अभिनेता दिलीप कुमार के सिर पर ठीकरा फोड़ा था. जिसकी वजह से थाली में सजा प्रधानमंत्री पद पीवी नरसिम्हा राव को आसानी से मिल गया, जबकि वह हैदराबाद के लिए बोरिया-बिस्तर बांध चुके थे. बकौल तिवारी- 1991 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अभिनेता दिलीप कुमार उन्हें बहेड़ी ले गए थे. जहां अरबी और फआसी में दिलीप साहब ने आजादी की लड़ाई का उनसे मतलब पूछा तो उन्होंने जवाब दे दिया. इस दौरान दिलीप कुमार ने उन्हें जिताने की अपील की. तिवारी के मुताबिक उन्हें नहीं मालुम था कि दिलीप कुमार का असली नाम युसुफ खान है. बाद में क्षेत्र में बात फैल गई कि मुस्लिम अभिनेता उन्हें जिताने की अपील कर रहे हैं. जिससे एक वर्ग के वोटों का उन्हें नुकसान झेलना पड़ा. कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे एनडी तिवारी हाल के दिनों में कांग्रेस से नाराज चल रहे थे और उनके बीजेपी में जाने की भी चर्चा उठी थी. हालांकि इसको लेकर असमंजस की स्थिति रही. दरअसल 2017 में पत्नी उज्ज्वला के काथ उन्होंने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी, उस दौरान बेटे रोहित बीजेपी में शामिल हुए थे. कहा गया था कि एनडी तिवारी भी बीजेपी में शामिल हुए थे, मगर यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी थी. एनडी तिवारी देश के इकलौते ऐसे नेता रहे, जिन्हें दो-दो राज्यों का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. उत्तर प्रदेश में जहां 1976-1977, 1984-1985, 1988-1989 तक मुख्यमंत्री रहे वहीं उत्तराखंड बनने के बाद पहले सीएम रहे. यह समय था वर्ष 2002-07 का. केंद्र में लगभग सभी मंत्रालय देख चुके थे. इसमें 1986-87 में विदेश मंत्री भी रहे. आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल (22 अगस्त 2007 – 26 दिसम्बर 2009) तक रहे. आपत्तिजनक वीडियो से हुई थी छीछालेदर वर्ष 2009 में जब एनडी तिवारी आंध्र प्रदेश के राज्यपाल थे, उस दौरान उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थे. इस पर काफी किरकिरी होने पर कांग्रेस ने एनडी तिवारी को हाशिए पर डाल दिया. तिवारी इकलौते ऐसे नेता रहे, जिन्हें दो राज्यों का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. यूपी से जहां तीन बार तो उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे. जब बना ली थी अलग पार्टी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद से राजनीति में उतरे नारायण दत्त तिवारी ने लंबा राजनीतिक सफर तय किया. उद्योग, वाणिज्य, पेट्रोलियम और वित्त मंत्री रहने के साथ योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे. केंद्र सरकार में लंबी भूमिकाएं निभाईं. वर्ष 1995 में नाराजगी के चलते एनडी तिवारी ने कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बना ली थी. हालांकि सफल न होने पर दोबारा उन्होंने घर वापसी की. 0 टिप्पणियां केस होने पर माना बेटा वर्ष 2008 में रोहित शेखर ने उन्हें जैविक पिता बताते हुए कोर्ट में मुकदमा कर दिया था. जिस पर कोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया तो एनडी तिवारी ने अपना नमूना ही नहीं दिया. बाद में कोर्ट के आगे नतमस्तक होते हुए एनडी तिवारी ने जहां रोहित को अपना कानूनी रूप से बेटा मानते हुए संपत्ति का वारिस बनाया, वहीं उज्जवला से 88 साल की उम्र में शादी की. दरअसल उज्जवला से एनडी तिवारी के पुराने प्रेम संबंध रहे, मगर उन्होंने शादी नहीं की थी.

Subscriber

173828

No. of Visitors

FastMail

तिरुवनंतपुरम - अगर कांग्रेस कुछ नहीं तो पीएम मोदी डरते क्यों हैं.... दूसरे चरण के चुनाव से पहले खरगे ने बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा     नई दिल्ली - Umang APP से चंद मिनटों में निकाल पाएंगे PF का पैसा     नई दिल्ली - आज घोषित होंगे एमपी बोर्ड हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री के नतीजे, MPBSE अध्यक्ष करेंगे घोषणा     नई दिल्‍ली - हम अपनी कमजोरी नहीं, इस कारण हारे, Ruturaj Gaikwad ने शिकस्‍त के लिए ठहराया दोषी     आगरा - ब्रज में लापता ‘जातियों का गुरूर’ कहीं विकास के सुबूत से आस तो कहीं चेहरा पैरोकार     नई दिल्ली - RBI ने महाराष्‍ट्र के इस बैंक पर लगा दीं कई पाबंदियां, खातों से एक रुपया भी नहीं निकाल सकेंगे ग्राहक