आज का हिन्दू पंचांग दिनांक 23 फरवरी 2021
- 151036774 - SUBASH CHANDER
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🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 23 फरवरी 2021*
⛅ *दिन - मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2077*
⛅ *शक संवत - 1942*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - वसंत*
⛅ *मास - माघ*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - एकादशी शाम 06:05 तक तत्पश्चात द्वादशी*
⛅ *नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 12:31 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
⛅ *योग - आयुष्मान् 24 फरवरी प्रातः 04:35 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
⛅ *राहुकाल - शाम 03:46 से शाम 05:13 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:04*
⛅ *सूर्यास्त - 18:39*
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - जया एकादशी*
💥 *विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *जया एकादशी* 🌷
🙏🏻 *( इस दिन का व्रत ब्रह्महत्या जैसे पाप व पिशाचत्व का नाशक है तथा प्रेतयोनि से रक्षा करता है | )*
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🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *जया एकादशी - प्रेत मोचिनी एकादशी*
🙏🏻 *भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया ..ये जया एकादशी (23 फरवरी 2021 ) (प्रेत मोचिनी एकादशी) का उपवास रखने वाले को भोग भी मिलता है - संसार का सुख सम्पदा भी मिलता है | ब्रम्ह की हत्या, ब्रम्हज्ञानी की हत्या बड़े में बड़ा पाप है | वो ब्रम्ह हत्या के पाप को नाश करनेवाली एकादशी है जया एकादशी | और कभी वो व्यक्ति पिशाच योनी को प्राप्त नहीं होगा |प्रेत योनी में कोई पड़ा हो उसकी सदगति होती है और जया एकादशी का जो व्रत रखेगा उसे प्रेत योनी में कभी नहीं जाना पड़ेगा | किसी कारण ये व्रत नहीं भी कर सकते तो चावल तो एकादशी को नहीं खाना... बीमारी भी देंगे और पाप भी देंगे | चावल एकादशी के दिन दुश्मन को भी नहीं खिलाना |*
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🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *भीष्म द्वादशी व्रत* 🌷
🙏🏻 *माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस बार ए व्रत 24 फरवरी, बुधवार को है । धर्म ग्रंथों के अनुसार,इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है।*
🌷 *व्रत विधि* 🌷
🙏🏻 *भीष्म द्वादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद संध्यावंदन करें और षोडशोपचार विधि से लक्ष्मीनारायण भगवान की पूजा करें। भगवान की पूजा में केले के पत्ते व फल,पंचामृत,सुपारी,पान,तिल,मौली,रोली,कुम -कुम,दूर्वा का उपयोग करें। पूजा के लिए दूध,शहद केला,गंगाजल,तुलसी पत्ता,मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार कर प्रसाद बनाएं व इसका भोग भगवान को लगाएं।*
🙏🏻 *इसके बाद भीष्म द्वादशी की कथा सुनें। देवी लक्ष्मी समेत अन्य देवों की स्तुति करें तथा पूजा समाप्त होने पर चरणामृत एवं प्रसाद का वितरण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दक्षिणा दें। इस दिन स्नान-दान करने से सुख-सौभाग्य,धन-संतान की प्राप्ति होती है। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करें और सम्पूर्ण घर-परिवार सहित अपने कल्याण धर्म,अर्थ,मोक्ष की कामना करें।*
🌷 *ये है भीष्म द्वादशी का महत्व* 🌷
🙏🏻 *धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है। भीष्म द्वादशी व्रत सब प्रकार का सुख वैभव देने वाला होता है। इस दिन उपवास करने से समस्त पापों का नाश होता है। इस व्रत में ब्राह्मण को दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, आदि करने से अमोघ फल प्राप्त होता है।*
🙏🏻 *इस व्रत में ॐ नमो नारायणाय नम: आदि नामों से भगवान नारायण की पूजा अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।*