श्रीमद्भागवत कथा में आज गोबर्धन पूजा का वर्णन
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बदायूँ फ़ास्ट न्यूज़ संवाददाता अवि शर्मा
बिल्सी:- नगर के बादशाहपुर रोड पर प्रकाश पाली के मैदान पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन देवरा से चलकर आये कथावाचक पप्पू शास्त्री जी ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला और भगवान इंद्र का अभिमान कैसे टूटा इसके बारे में बताया। शास्त्री जी ने बताया की जब ब्रज में सभी ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा अर्चना कर कर रहे थे। अपने माता-पिता के साथ श्रीकृष्ण ने इंद्र पूजा में भाग लिया । जब इंद्र की पूजा प्रारंभ हुई ।तभी भगवान श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता से पूछा कि इंद्र की पूजा क्यों जाती है। भगवान के इस प्रश्न पर माता-पिता ने बताया कि इंद्र की पूजा करने से हमें वर्षा के जल की प्राप्ति होती है जिससे हम अपना जीवन यापन करते हैं। तभी भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों से कहा आज से ब्रज में में कोई भी इंद्र देव की पूजा अर्चना नही करेगा।उन्होंने कहा ये इंद्र का घमण्ड है। उन्होंने कहा हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए जो हमारी गाय को चारा देते हैं। पर्वत की वजह जलवायु प्रभावित हो बर्षा का कारण बनती है श्रीकृष्ण की बात मान , सभी ब्रजबासी इंद्र की पूजा छोड़ गोवर्धन की पूजा करने लगे।
जिससे इंद्र को क्रोध आया और ब्रज में भारी बर्षा करने लगे। आंधी तूफान का कहर मचाने लगे । सभी ब्रजबासी त्राही त्राही करने लगे । उसी वक्त भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया । सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण दिलायी। सभी के प्राणों की रक्षा की। भगवान की इस अद्भुत लीला ने इंद्र का घमण्ड तोड़कर रख दिया। भगबान ने कहा कभी भी मानव को अहंकार नही करना चाहिए। क्योंकि एक दिन जो उसे मिला है वह उससे छिन जाना हैं। फिर अहंकार कैसा। साथ ही कथावाचक पप्पू शास्त्री जी ने यहाँ अन्य प्रसंगों को भी सुनाया। इस मौके पर प्रकाश पाली ,जगदीश पाल,हिमांशु कुमार ,प्रेमशंकर,दीपक,वीरेंद्र कुमार,रोहताश,नन्हेलाल आदि मौजूद रहें।