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AIGC ने सरकार से की सुरक्षा की मांग
  • 151018477 - DEEPAK KUMAR SHARMA 0



खड़गपुर रेल मंडल, खड़गपुर। ऑल इंडिया गार्ड्स कॉउन्सिल का बीएननियाल (द्विवर्षीय) जेनरल मीटिंग का उद्बोधन गोल बाजार दुर्गा मंदिर परिसर में सम्पन्न हुआ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर ईस्ट कोस्ट रेलवे के जोनल सेक्रेटरी संतोष निशांक उपस्थित थे।इस कार्यक्रम का उद्देश्य नए पदाधिकारियों का चुनाव करना और सरकार के समक्ष अपनि मांगो को उठाना था।ब्रांच प्रेसिडेंट के तौर पर विजय कुमार शर्मा के अलावा डिविशनल प्रेसिडेंट अशीम चक्रवर्ती,श्री गणेश कुमार को मेल गार्ड को नए शाखा सचिव और श्री राम नरेश को मंडल सचिव के कार्यभार से चयनित किया गया।इनके अलावा मुख्य वक्ता के रूप मेंश्री पी जी माइती एवं जी पी यादव को मनोनीत किया गया।ड्रेस अलाउंस को सालाना 5000 से बढ़ाकर 10000 करना वरीय मांग थी। आठ सूत्री मांगो में मुख्य रूप से रेलवे के निजीकरण का विरोध था।अन्य मांगों में सभी गार्ड कर्मचारियों को रेल क्वार्टर का आवंटन अन्यथा आवेदन वाले दिन से ही HRA का भुगतान, कर्मचारी सुरक्षा के मद्देनजर EOTT कि बंदी, तत्काल प्रभाव से सभी गार्ड्स की सुरक्षा सुनिश्चित करना,पेंशन स्कीम लागू करना प्रमुख थीं। ज्ञातब्य हो कि रेलवे बोर्ड ने देश के सौ प्रमुख रेल मार्गों पर 150 निजी ट्रेन गैर-रेलवे स्टाफ (ड्राइवर-गार्ड) से चलवाने की योजना बनाई है। हालांकि, हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए एक हजार ड्राइवर-गार्ड की भर्ती करना निजी ट्रेन संचालकों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा। दरअसल, रेलवे एक्ट के तहत किसी ड्राइवर को 20 साल के अनुभव के बाद मेल-एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की अनुमति दी जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक रेलवे में ट्रेन चलाने की कला सिखाने के लिए कोई प्रशिक्षण केंद्र नहीं है। सहायक लोको पायलट को 45 मिनट के लिए ‘सिमुलेटर’ पर ट्रेन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद वह लोको पायलट के सहायक के रूप में चुनिंदा रेलमार्ग पर 10 से 15 साल तक मालगाड़ी (अधिकतम रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा) चलाना सीखता है। 5 से 10 साल ड्राइवर को पैसेंजर ट्रेन (110 किलोमटर प्रतिघंटा) चलाने को दिया जाता है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि निजी ट्रेन को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चलाने के लिए 20 साल लंबा तजुर्बा रखने वाले ड्राइवर की भर्ती करना निजी संचालकों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा। अनाड़ी ड्राइवर के हाथों में निजी ट्रेन सौंपना हजारों रेल यात्रियों की सुरक्षा से खिलावड़ करने के समान होगा।संतोष निशांक ने कहा कि एक गार्ड की स्थिति स्कूल हेडमास्टर की तरह होतीं है, जिसके कंधे पर सैकड़ों यात्रियों का जीवन करता है।सरकार को उनकी मांगों पर गहराई से विचार करना चाहिए। बंगाल स्टेट ब्यूरो चीफ दीपक शर्मा की रिपोर्ट।

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