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राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर को*
  • 151109233 - HEMANT CHOUDHARY 0



*राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर को* *देहदान कर्तव्य संस्था रक्तदान के लिए कर रही है जागरूक -डॉ एस के गौड़* भारत में राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस हर साल 1 अक्टूबर को मनाया जाता है । यह दिवस व्यक्ति के जीवन में रक्त की आवश्यकता और महत्व को साझा करने के लिये मनाया जाता है। ये पहली बार साल 1975 में 1 अक्टूबर को मनाया गया। देहदान कर्तव्य संस्था के संरक्षक *श्री राजाराम मित्र* ने बताया कि राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस गुरूवार, 1 अक्टूबर 2020 को अलीगढ के जिला मलखान सिंह अस्पताल में विभिन्न संस्थाओं के योगदान के साथ प्रातः 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक मनाया जायेगा। इस स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर देहदान कर्तव्य संस्था के साथ साथ हैंड्स फ़ॉर हेल्प संस्था , सत्यमन मानव सेवा संस्थान का भी विशेष योगदान प्राप्त होगा देहदान कर्तव्य संस्था के अध्यक्ष डॉ एस के गौड़ ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस का उद्देश्य देश भर में सभी लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूक करना। सफलतापूर्वक जरूरतमंद रोगियों की तत्काल जरूरत को पूरा करने के लिए स्वैच्छिक रक्तदान के लक्ष्य को प्राप्त करना। इसके लिए देहदान कर्तव्य संस्था सभी को विभिन्न तरीके से जागरूक कर रही है । इसके लिए रक्तदाता व्यक्ति को जागरूक करके किसी भी तत्काल और गंभीर आवश्यकता के लिए ब्लड बैंक में रक्त का संग्रह करके रखना। बहुत सारे धन्यवाद के माध्यम से रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करना और उनके आत्मसम्मान को महत्व देना। उन लोगों को रक्त देने के लिये प्रेरित और प्रोत्साहित करना जो स्वस्थ्य होने के बाद भी रक्तदान में रुचि नहीं ले रहे हैं। उन लोगों को स्वेच्छा से रक्त दान करने के लिये प्रोत्साहित करना । जो केवल अपने मित्रों और रिश्तेदारों को रक्त दान करते हैं।उनको अन्य व्यक्तियों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करना । इस अवसर पर देहदान कर्तव्य संस्था के अध्यक्ष डॉ o एस o के o गौड़ ने कहा कि इस दिवस की सार्थकता अधिक से अधिक संख्या मे लोग रक्तदान करें। प्रत्येक व्यक्ति को सोचना चाहिए, यदि मुझे या किसी पारिवारिक सदस्य को यकायक रक्त की आवश्यकता हुई, तो क्या होगा? आज की भागम भाग जिन्दगी व प्रदूषित वातावरण में कभी किसी के साथ कुछ भी हो सकता है।ऐसे में रक्त की जरूरत पर कहाँ से मिल पायेगा? यह जानना भी जरूरी है कि व्यक्ति रक्तदान क्यों करें- व्यक्तिगत स्वार्थ-ऐसे लोगों की रोगों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पॉवर ) बढ़ती है। एक यूनिट देने पर पुनः रक्तापूर्ति बहुत जल्दी व स्वस्थ रखने में सहयोगी सिद्ध होती है। एक यूनिट से चार रोगियों को सहयोग मिलता है। कैसी भी कमजोरी (मानसिक/शारिरिक ) नहीं आती। आत्म संतुष्टि का अहसास होता है।लगता है कि मानवता हेतु कुछ हमारे द्वारा हो गया। डॉ इस के गौड़ जी ने आगे कहा कि रक्तदान पूर्व सोचें । पहले से ही मानसिक रूप से विचारें कि इससे किसी भी हानि नहीं है। खाली पेट ना आयें। दान करने से पहले, दौरान व बाद में रक्त पाउच ना देखें। सोचें मैं ही पहला व्यक्ति नहीं हूँ रक्तदानी। विस्तर लेटते समय ईश्वर में तल्लीन रहें। आइये इस मानवीय अभियान को सफल बनाने में दिल से सहयोगी बने ,रक्त दान करें। देहदान कर्तव्य संस्था की उपाध्यक्ष डॉ आशा राठी जी ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के माध्यम से जरूरतमंद व्यक्ति को रक्तदान या उसके घटकों का दान के लिए जागरूक करना है । रक्तदान आज आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में मानवता का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि रक्त देने वाला और रक्त पाने वाला कौन है, भविष्य में ये भी सम्भव है कि रक्तदाता रक्त पाने वाला बन जाये और आने वाले समय में रक्त पाने वाला स्वस्थ्य रक्तदारा बन जाये। इसलिये बिना किसी भी इच्छा के रक्तदान करना जीवन बचाने की प्रक्रिया में मानवता का महान और महत्वपूर्ण भाग है। देहदान कर्तव्य संस्था के मीडिया प्रभारी डॉ डी के वर्मा ने कहा कि केवल अपने मित्रों और रिश्तेदारों को ही रक्तदान नहीं करना चाहिये, बल्कि स्वैच्छिक रक्तदान ही किसी भी मनुष्य के लिये वास्तविक मानवता है क्योंकि ये बहुत से जीवन को बचा सकती है। देहदान कर्तव्य संस्था के उप सचिव और महान रक्तवीर अजय चौधरी ने कहा कि रक्त आधान के समय रक्त संचरण के माध्यम से रोगों से बचाने के लिये, एकत्र रक्त की प्रत्येक इकाई की सावधानी पूर्वक जाँच (उन्नत परीक्षण तकनीकों के माध्यम से जैसे: न्यूक्लिक अम्ल परीक्षण) जीवन को भयावह रोगों जैसे: एड्स, उपदंश, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया और अन्य बहुत से रोगों से बचाने के लिये बहुत अनिवार्य हो जाती है। रक्तदान के लिये स्वैच्छिक रक्त दाताओँ को प्रोत्साहित करना चाहिये क्योंकि पेशेवर या वेतन पर रक्तदान करने वालों के बजाय स्वैच्छिक रक्त दाताओँ का रक्त सुरक्षित होता है। स्वैच्छिक रक्त दाता कभी झूठ नहीं बोलते और अपने रक्त के उन्नत तकनीक से परीक्षण के लिये सहमत होते है क्योंकि वो सही में किसी का अनमोल जीवन बचाना चाहते है। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर संस्था के सदस्य भुवनेश वार्ष्णेय आधुनिक ने कहा कि रक्तदाता की उम्र 18-60 के बीच में होनी चाहिये, वजन कम से कम 45 या इससे अधिक, नाड़ी दर रेंज 60 से 100/मिनट, बी.पी. सामान्य, एचबी 12.5gm/100 एमएल और शरीर का तापमान 37.5 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक नहीं होना चाहिये। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस का महत्त्व समझाते हुए हैंड्स फ़ॉर हेल्प संस्था के अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार ने कहा कि रक्त मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि यह शरीर के ऊतकों और अंगों के लिए महत्वपूर्ण पोषण प्रदान करता है। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस समाज में महान परिवर्तन लाने, जीवनरक्षी उपायों का अनुसरण करने और हिंसा और चोट के कारण गंभीर बीमारी, बच्चे के जन्म से संबंधित जटिलताओं, सड़क यातायात दुर्घटनाओं और कई आकास्मिक परिस्थितियों से निकलने के लिए मनाया जाता है। सुरक्षित रक्तदान हर साल सभी उम्र के और सभी स्तर के लोगों का जीवन बचाता है। स्वैच्छिक रक्त दाताओं के रूप में त्रिपुरा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र राज्यों को राष्ट्रीय स्तर पर माना जाता है। भारत में स्वैच्छिक रक्त दाता के रुप में त्रिपुरा, देश का एक उत्तर पूर्वी राज्य, 93% के साथ उच्चतम स्तर पर माना जाता है, साथ ही साथ ही मणिपुर देश में सबसे कम स्तर पर माना जाता है। स्वैच्छिक रक्तदान अभियान के प्रति आम जनता की अज्ञानता, भय और गलत धारणाओं को दूर करने के लिए इस दिन को एक महान स्तर पर मनाना बहुत आवश्यक है। स्वैच्छिक संगठनों को अपने बहुमूल्य समय का भुगतान और अपने संसाधनों का उपयोग देश के छात्रों/युवाओं, कॉलेजों, संस्थानों, क्लबों अथवा गैर सरकारी संगठनों आदि को प्रोत्साहित करने के लिये कर रहे हैं। प्रेषक भुवनेश वार्ष्णेय आधुनिक सदस्य देहदान कर्तव्य संस्था , अलीगढ मो0 9837213549

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