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ज्यादा कुछ नहीं बस फर्क है मजहबी और धार्मिक नींव क
  • 151109233 - HEMANT CHOUDHARY 0



ज्यादा कुछ नहीं बस फर्क है मजहबी और धार्मिक नींव का - - - - पहली तस्वीर बिल्कीस बानो उम्र 82 वर्ष की है और इन्हें टाईम मैग्जीन ने शाहीन बाग में CAA का विरोध करने के लिए विश्व के 100 विशिष्ट लोगों की फेहरिस्त में रखा है। और दूसरी तस्वीर धापिया बाई की है जिनकी उम्र 86 वर्ष है - - - जब ये 13 साल कीं थीं उस समय भारत पाकिस्तान विभाजन में इनका अपहरण बख्शिंदा खान ने कर लिया और एक बैल के बदले अहमद बख्श को बेच दिया। अहमद बख्श ने धापिया को आयशा और सात बच्चों की माँ बना दिया गया। इन्हें इतना याद था कि ये मेघवाल परिवार से थीं और राजस्थान में किसी मोरखाना नाम की जगह है जहाँ बहुत से मोर होते हैं। (यह जगह बीकानेर में है इसका भान इन्हें नहीं था)। इन्हें अपने भाईयों अलसु राम, छोटूराम, मेसाराम, बदलुराम, गंगूराम, मोतीराम और बहन मीराबाई का नाम भी याद था। पिछले 73 वर्षों में ये लोगों को लगातार बतातीं रहीं कि ये हिन्दू थीं और शादी के वक्त इन्हें मुसलमान बनाया गया था। 73 साल तक लोगों को पैसे और घी देतीं रहीं कि कोई इन्हें भारत में इनके परिवार से मिलवा दे।15-20 साल पहले पाकिस्तान के उर्दू के अखबार में यही विज्ञापन भी दिया जिसमें भारत में अपने परिवार से मिलने की इच्छा जताई थी। लोकल लोगों ने इन्हें पाकिस्तान के ही मेघवाल परिवारों से मिलवा कर इनके भाई भतीजे बता कर तसल्ली दिलवाने की कोशिश की। पर कहते हैं कि खून खून को पहचानता है सो इन्हें भी समझ में आ रहा था कि ये इनके भाई भतीजे नहीं हैं। बन्दी ने कोशिशें नहीं छोड़ीं तो 73 साल बाद ऊपर वाले को भी रहम आ गया और जब अपनों से सिर्फ 266 किमी दूर पूरी जिंदगी बिताने के बाद अपने भाई के पोतों और पड़पोतों से व्हाटसएप वीडियोकाल के दौरान 13 सितंबर को मिलीं तो दोनों तरफ से आवाज कम आ रही थी और आंसुओं से फोन का स्क्रीन ज्यादा भीग रहा था - - सियासत के मारे लोग फोन के स्क्रीन को ही चूम चूम कर दूरियाँ खत्म करने की कोशिश कर रहे थे - फोन पर ही रोते रोते गले मिल रहे थे। सी ए ए का विरोध करने वाली बिल्कीस बानो क्या जाने कि इस बिल का विरोध करके वो कितनों को घर नहीं लौटने दे रही और कितने बिछुड़ों को मिलने नहीं दे रही और कितनों को मजबूर कर रही है कि वो जिंदा रहने के लिए इस्लाम कबूल कर लें। एक की आंखों में मशहूर होने की खुशी देखिए और दूसरी की आंखों में बिछुड़ने का गम।

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