महामारी एक बीमारी या दैविक आपदा।
- 151119163 - RAMESH CHANDRA SHARMA
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प्राकृतिक दैनिक आपदा हमारे देश में हर सौ साल मे आ ही जाती है इसमें जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। देश अपनी प्रगति से पुनः पीछे कई साल चला जाता है। अवलोकन किया जाए तो प्रकृति की मार किसी ना किसी बहाने से जनजीवन पर पड़ती रहती है। वर्तमान स्थिति में तमाम देशों की दशा दयनीय हो चुकी है। आदमी बेरोजगार हो चुके हैं और रोजगार की कोई उम्मीद नहीं बन पा रही है। ऊपर से कोरोना नामक महामारी सर पर सवार है। सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं है। मरीजों के लिए साधन सुविधा का अभाव हो गया है। संक्रमण इतना काफी हो चुका है। कि कहीं ना कहीं लोग बिना इलाज के मरने पर मजबूर हैं। सरकार के तरफ से प्रयास जारी है। मगर कहीं ना कहीं परेशानी चरम सीमा पर है। क्या ऐसी दशा में जनजीवन सुरक्षित रह पाएगा नहीं क्योंकि अभी तक सुरक्षा का कोई कवच नहीं बन पाया है। आज तक जो भी भयंकर बीमारी जन्म ली उसका समुचित इलाज नहीं बन पाया जैसे कैंसर एड्स इत्यादि। जबकि हर बीमारी के लिए देश काफी प्रयास करता। मगर समुचित इलाज नहीं सिर्फ रोकथाम है।
तरह-तरह की टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर मानव जीवन को हानि ही पहुंची है। मानव का शरीर किसी भी प्रकार की दैविक आपदा को रोकने की क्षमता नहीं रखता है। क्योंकि अध्यात्म का पतन होना ही मानव का सर्वनाश सुनिश्चित है।