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गहलोत व पायलट के विवाद में अटका मंत्रिमंडल
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राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का विवाद ऊपरी तौर पर तो शांत हो गया, लेकिन अंदर से दोनों एक-दूसरे को राजनीतिक रूप से कमजोर करने में जुटे हैं। गहलोत और पायलट के बीच चल रही खींचतान का ही नतीजा है कि ना तो मंत्रिमंडल में फेरबदल हो पा रहा है और ना ही राजनीतिक नियुक्तियां हो रही है। दोनों नेता अपने-अपने समर्थकों को सत्ता का सुख दिलाने को लेकर जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग में जुटे हैं। इस कारण सरकार से जुड़े राजनीतिक फैसलों में देरी हो रही है। गहलोत और पायलट के बीच विवाद को निपटाने एवं मंत्रिमंडल व राजनीतिक नियुक्तियों के लिए नाम तय करने को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित की गई वरिष्ठ नेताओं की कमेटी ने गहलोत और पायलट से बात की है। कमेटी में शामिल कोषाध्यक्षअहमद पटेल, संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल व महासचिव अजय माकन की दोनों नेताओं से अलग-अलग बात हुई। इन तीनों नेताओं से गहलोत व पायलट के समर्थक विधायक भी दिल्ली जाकर मिल चुके हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार यह कमेटी इस माह के अंत में अपनी रिपोर्ट देगी । इसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीतिक नियुक्तियों का काम शुरू होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि अगले चार-पांच दिन में राहुल गांधी गहलोत और पायलट को दिल्ली बुलाकर बात करेंगे।गहलोत और पायलट की खींचतान के चलते मंत्रिमंडल विस्तर व राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी से कांग्रेस विधायकों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। गहलोत सरकार का करीब पौने दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से विधायकों के साथ ही पार्टी नेताओं में नाराजगी बढ़ रही है। पायलट के साथ 35 दिन तक चले विवाद के दौरान गहलोत की तरफ से बाड़ेबंदी में रहे विधायकों को आश्वासन दिया गया था कि हालात सामान्य होते ही मंत्रिमंडल का विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियां कर उन्हे उपकृत किया जाएगा। दोनों नेताओं के बीच समझौता हुए भी एक माह से अधिक समय हो गया, लेकिन उन्हे सत्ता का सुख देने का वादा पूरा नहीं हो पा रहा है। इस कारण विधायकों ने पिछले कुछ दिनों में गहलोत पर लगातार दबाव बनाना शुरू किया है। विधायकों के बढ़ते दबाव से परेशान होकर गहलोत ने कोरोना का हवाला देते हुए एक माह तक किसी से नहीं मिलने की घोषणा कर दी। इससे विधायकों में अधिक नाराजगी बढ़ रही है। मंत्रिमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से सबसे अधिक नाराजगी बहुजन समाज पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले उन 6 विधायकों में है, जिन्हे जल्द सरकार में शामिल करने का आश्वासन दिया गया था। एक तरफ जहां विधायकों से बचने के लिए गहलोत ने एक माह तक किसी ने नहीं मिलने का फैसला कर लिया, वहीं पायलट लगातार अपने समर्थकों से मिल रहे हैं। वे खुद दिल्ली जाकर अहमद पटेल, वेणुगोपाल व अजय माकन से मिल चुके हैं। FacebooktwitterwpEmailaffiliates राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलटराजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलटPublish Date:Thu, 24 Sep 2020 02:03 PM (IST)Author: Preeti jha जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का विवाद ऊपरी तौर पर तो शांत हो गया, लेकिन अंदर से दोनों एक-दूसरे को राजनीतिक रूप से कमजोर करने में जुटे हैं। गहलोत और पायलट के बीच चल रही खींचतान का ही नतीजा है कि ना तो मंत्रिमंडल में फेरबदल हो पा रहा है और ना ही राजनीतिक नियुक्तियां हो रही है। दोनों नेता अपने-अपने समर्थकों को सत्ता का सुख दिलाने को लेकर जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग में जुटे हैं। इस कारण सरकार से जुड़े राजनीतिक फैसलों में देरी हो रही है। गहलोत और पायलट के बीच विवाद को निपटाने एवं मंत्रिमंडल व राजनीतिक नियुक्तियों के लिए नाम तय करने को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित की गई वरिष्ठ नेताओं की कमेटी ने गहलोत और पायलट से बात की है। कमेटी में शामिल कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल व महासचिव अजय माकन की दोनों नेताओं से अलग-अलग बात हुई। इन तीनों नेताओं से गहलोत व पायलट के समर्थक विधायक भी दिल्ली जाकर मिल चुके हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार यह कमेटी इस माह के अंत में अपनी रिपोर्ट देगी । इसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीतिक नियुक्तियों का काम शुरू होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि अगले चार-पांच दिन में राहुल गांधी गहलोत और पायलट को दिल्ली बुलाकर बात करेंगे। राजस्थान में नए पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति यूपीएससी के जरिये पूरी होगी। Rajasthan: पुलिस महानिदेशक की तलाश तेज, लॉबिंग में जुटे अफसर; सरकार भी कर रही तैयारी यह भी पढ़ें लॉबिंग में जुटे नेता गहलोत और पायलट की खींचतान के चलते मंत्रिमंडल विस्तर व राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी से कांग्रेस विधायकों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। गहलोत सरकार का करीब पौने दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से विधायकों के साथ ही पार्टी नेताओं में नाराजगी बढ़ रही है। पायलट के साथ 35 दिन तक चले विवाद के दौरान गहलोत की तरफ से बाड़ेबंदी में रहे विधायकों को आश्वासन दिया गया था कि हालात सामान्य होते ही मंत्रिमंडल का विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियां कर उन्हे उपकृत किया जाएगा। दोनों नेताओं के बीच समझौता हुए भी एक माह से अधिक समय हो गया, लेकिन उन्हे सत्ता का सुख देने का वादा पूरा नहीं हो पा रहा है। इस कारण विधायकों ने पिछले कुछ दिनों में गहलोत पर लगातार दबाव बनाना शुरू किया है। राजस्थान के झुंझुनूं में कर्ज से परेशान युवक ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। Rajasthan: ब्याज माफिया से परेशान युवक ने की आत्महत्या यह भी पढ़ें विधायकों के बढ़ते दबाव से परेशान होकर गहलोत ने कोरोना का हवाला देते हुए एक माह तक किसी से नहीं मिलने की घोषणा कर दी। इससे विधायकों में अधिक नाराजगी बढ़ रही है। मंत्रिमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से सबसे अधिक नाराजगी बहुजन समाज पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले उन 6 विधायकों में है, जिन्हे जल्द सरकार में शामिल करने का आश्वासन दिया गया था। एक तरफ जहां विधायकों से बचने के लिए गहलोत ने एक माह तक किसी ने नहीं मिलने का फैसला कर लिया, वहीं पायलट लगातार अपने समर्थकों से मिल रहे हैं। वे खुद दिल्ली जाकर अहमद पटेल, वेणुगोपाल व अजय माकन से मिल चुके हैं। देखे राजस्थान से हातिम की रिपोट 151132507

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