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बांसुरी वाला
  • 151121316 - YASHWANT SINGH 0



बांसुरी वाला बात सात सौ साल पुरानी सुनो ध्यान से प्यारे हैम्लिन नामक एक शहर था वीजर नदी किनारे। यूं तो शहर बहुत सुन्दर था हैम्लिन जिसका नाम मगर वहां के लोगों का हो गया था चैन हराम। इतने चूहे इतने चूहे गिनती हो गई मुश्किल जिधर भी देखो जहां भी देखो करते दिखते किल बिल। बाहर चूहे घर में चूहे दरवाजे और दर में चूहे खिड़की और आलों में चूहे थालों और प्यालों में चूहे। ट्रंक में और संदूक में चूहे फौजी की बंदूक में चूहे अफसर की गाड़ी में चूहे नौकर की दाढ़ी में चूहे। पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण जिधर भी देखो चूहे ऊपर नीचे आगे पीछे जिधर भी देखो चूहे। दुबले चूहे मोटे चूहे लंबे चूहे छोटे चूहे काले चूहे गोरो चूहे भूखे और चटोरो चूहे। चूहे भी वो ऐसे चूहे बिल्ली को खा जाए चीले जान बचाएं। चूहो से घबराकर राजा ने किया ऐलान जो उनसे पीछा छुटवाये पाये ढ़ेर ईनाम। सुनकर ये ऐलान वहां पर पहुंचा एक मदारी मस्त कलंदर नाम था उसका मुंह पर लंबी दाढ़ी। झोले से बंसी निकालकर मीठी तान बजाई जिसको सुनकर चूहा सेना दौड़ी दौड़ी आई। कोनों खुदरों से निकले और निकले महल अतारी से नाले नाली से निकले और निकले बक्सपिटारी से। घर की चौखट को फलांगकर आये ढेरों चूहें छत के ऊपर से छलांग कर आये ढ़ेरों चूहे। लाखों चूहों का जलूस चल पड़ा मदारी के पीछे जैसे कोई डोरी उनको लिये जा रही हो खींचे। आगे आगे चला मदारी पीछो चूहे सारे चलते चलते वो जा पहुंचे वीज़र नदी किनारे। वहां पहुंच कर भी ना ठहरा वो छह फुटा मदारी उतर गया दरिया के अन्दर पीछे पलटन सारी। ले गया मदारी सब चूहों को वीज़र नदी के अंदर एक भी जिंदा नहीं बचा सब डूबे नदी के अन्दर। चूहों को यूं मार मदारी राजा के घर आया अपने इनाम का वादा उसको फौरन याद दिलाया। राजा बोलाः क्या कहते हो मिस्टर मस्त कलंदर चूहे तो खुद ही जा डूबे वीज़र के अन्दर। कौन सा तुमने कद्दू में मारा है ऐसा तीर जिसके कारण पुरस्कार दे तुमको मस्त फकीर देखके ऐसी मक्कारी वो रह गया हक्काबक्का उसके भोले मन को इससे लगा जोर का धक्का। गुस्से से हो आगबबूला महल से बाहर आया थैले से बंसी निकाल कर सुंदर राग बजाया। सुनकर उसकी बंसी की धुन बच्चे दौड़े आये। लम्बे बच्चे, छोटे बच्चे दुबले बच्चे, मोटे बच्चे दूर के बच्चे, पास के बच्चे साधारण और खास से बच्चे। हंसते बच्चे, रोते बच्चे जाग रहे और सोते बच्चे गांव, मुहल्ले, डगर के बच्चे। लाखों बच्चों का जमघट चल पड़ा मदारी के पीछे जैसे कोई जादू, उनको लिए जा रहा हो खींचे। ले गया दूर शहर से उनको वो छह फुटा मदारी नहीं रोक पाई बच्चों को नगर की जनता सारी। बिगड़ गयी हैम्लिन की जनता पहुंची राजा के द्वारे बोलीः तेरी बेईमानी से बच्चे गए हमारे। नहीं चाहिए ऐसा राजा करता जो मनमानी वादा करके झुठला देता ये कैसी बेईमानी। राजा से गद्दी छीनी दे डाला देश निकाला और हैम्लिन का राज पाट खुद जनता ने ही संभाला। नये राज ने मस्त मदारी को फौरन बुलवाया माफी मांगी और मुंहमांगा पुरस्कार दिलवाया। सारे बच्चे वापस पहूंचे अपने अपने घर पे पूरे शहर में खुशी मनी और दीये जले दर दर पे। Yashwant_Singh RI Shabganj

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