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ये तस्वीर 1908 की है।
  • 151109233 - HEMANT CHOUDHARY 0



ये तस्वीर 1908 की है। अमृतसर के हरमंदिर साहेब की जिसे ईसाई वामपंथी गोल्डन टेंपल कहते हैं।। अब आपके मन मे ये प्रश्न उठा कि हिन्दू साधु ध्यान कैसे कर रहे है?? वो भी सिख तीर्थ में ? जरा इतिहास में चलते है।।।।। सिख पंथ के गुरु--- १)गुरु गुरु नानक। 2-गुरु अंगददेव। 3- गुरु अमरदास। 4-गुरु रामदास। 5- गुरु अर्जुनदेव। 6- गुरु हरगोविंद। 7- गुरु हरराय। 8 - गुरु हरकिशन। 9- गुरु तेगबहादुर, तथा 10- गुरु गोविंद सिंह।। सभी गुरु के नाम मे राम अर्जुन गोविंद ( कृष्ण) हर(महादेव) के नाम पर है।। जब औरंगजेब ने कश्मीर के पंडितो को इस्लाम स्वीकार करने के कहा तो कश्मीरी पंडित गुरू तेगबहादुर के पास सहायता के लिये गए। गुरु तेगबहादुर ने कहा जाओ औरंगजेब से कहना यदि गुरु तेगबहादुर मुसलमान बन गया तो हम भी मुसलमान बन जायेंगे। ये बात पंडित औरंगजेब तक पहुंचा देते है ।औरंगजेब गुरु तेगबहादुर को दिल्ली बुलाकर मुसलमान बनने के लिए कहता है।। गुरु द्वारा अस्वीकार करने पर गुरु तेग बहादुर को यातना दे कर कत्ल कर दिया जाता है। अब प्रश्न ये है कि सिख हिन्दू से अलग है तो कश्मीरी पंडितों के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपने प्राण क्यों दिए ? गुरु गोविन्द सिंह का प्रिय शिष्य बंदा बहादुर ( लक्ष्मण दास ) भारद्वाज कुल का ब्राम्हण था ।। जिसने गुरु गोविन्द सिंह के बाद पंजाब में मुगलों की सेना से संघर्ष किया - कृष्णा जी दत्त जैसे ब्राह्मण ने गुरु के सम्मान के लिए अपने सम्पूर्ण परिवार को बलिदान कर दिया।।. राजा रणजीत सिंह कांगड़ा के ज्वालामुखी देवी के भक्त थे।। उन्होंने देवी मंदिर का पुर्ननिर्माण कराया - आज भी कई सिख व्यापारियों की दुकानों में गणेश व देवी की मूर्ति रहती है।। आज भी सिख नवरात्रि में अपने घरों में ज्योत जलाते है ।। नवजोत सिंह सिद्धू के घर मे शिवलिंग की पूजा होती है।। *** अब प्रश्न ये है कि सिख क्यों व कैसे हिन्दू से अलग कर दिए गए ? 1857 की क्रांति से डरे ईसाई ( अंग्रेज़) ने हिन्दू समाज को को तोड़ने की षड़यंत्र रचा।। 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज का गठन किया।। जिसका केंद्र पंजाब का लाहौर था। स्वामी दयानंद ने ही सबसे पहले स्वराज्य की अवधारणा दी ,,जब देश का नाम हिंदुस्तान तो ईसाईयों ( अंग्रेज़ ) का राज क्यों?? स्वामी दयानंद के इन विचारों से पंजाब में क्रांतिकारी गतिविधियों में बढ़ गयी!! लाला हरदयाल,, लाला लाजपतराय सोहन सिंह भगतसिंह के चाचा अजीत सिंह जैसे क्रांन्तिकारी नेता आर्य समाजी थे।। अतः ईसाई मिशनरियों( अंग्रेजो) ने अभियान चलाया की सिख व हिन्दू अलग है।। ताकि पंजाब में क्रांतिकारी आंदोलन को कमजोर किया जा सके। इसके लिए अंग्रेज़ समर्थक सिखों ने अभियान चलाया कि सिख हिन्दू नहीं है और अलग धर्म का दर्जा देने की मांग की।। ( जैसे आज कर्नाटक में ईसाई बने लिंगायात हिन्दू धर्म से अलग करने की मांग कर रहे हैं ) ईसाई मिशनरियों ( अंग्रेज़) ने 1922 में "गुरुद्वारा एक्ट" पारित कर सिखों को हिन्दू से अलग कर उन्हें अलग धर्म का घोषित कर दिया । आजादी के बाद ""गुलाब चचा"" ने अर्थात् इसे बनाये रखा.!! भारत वीरों!! हिन्दू वीर सिखों का खून एक है। हर हिन्दू को गुरूद्वारा जाना चाहिए।। प्रत्येक हिंदू को जीवन मे एक बार अमृतसर के हरमंदिर जाना चाहिए 🙏🙏🚩 गुरु गोविन्द सिंह ने 1699 में खालसा( पवित्र) पंथ का गठन किया और कहा मैं चारो वर्ण के लोगों को सिंह बना दूँगा 🙏🙏 " देश धर्म संस्कृति की रक्षा प्राण देकर ही नहीं प्राण लेकर भी की जाती है।

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