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कोविड महायुद्ध में योद्धाओं से कम नहीं लैब टेक्नीश
  • 151122878 - SATYENDRA SINGH 0



कोविड महायुद्ध में योद्धाओं से कम नहीं लैब टेक्नीशियन गर्मी में एअर टाइट पीपीई किट पहनकर रहते हैं घंटों प्यासे पानी की कमी से कई बार डिहाइड्रेशन की आती है समस्या कपड़ों से किट टच होने पर होता है संक्रमण का खतरा बांदा, 21 सितंबर 2020। कोविड-19 के विरुद्ध संघर्ष कर रहे चिकित्सा विभाग में लैब टेक्नीशियन नींव की ईंट साबित हो रहे हैं। भीषण गर्मी में पीपीई किट पहनकर लैब टेक्नीशियन (एलटी) अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। कोविड से जंग लड़ रहे एलटी विषम परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। एयर टाइट पीपीई किट पहनकर कई घंटे प्यासा रहना पड़ता है। इन परिस्थितियों की कल्पना मात्र से ही एलटी के योगदान का अंदाजा लगाया जा सकता है। ट्रामा सेंटर की ऊपरी मंजिल में कोविड सैंपल कलेक्शन कक्ष बना हुआ है। यहां एंटीजन और ट्रूनाॅट के 150 से अधिक सैंपल रोजाना लिए जाते हैं। लैब टेक्नीशियन शशांक बताते हैं कि सैंपलिंग करते समय खाने-पीने का भी समय नहीं मिल पाता। कई-कई घंटे पानी तक नहीं पीते। पीपीई किट के अंदर हवा पास नहीं होने से अंदर काफी गर्मी व उमस हो जाती है। पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो जाता है। शरीर में पानी की कमी होने से कई बार डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो चुकी है। एलटी नरेंद्र मोहन का कहना है कि कोरोना संकट के दौर में वह अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं। पीपीई किट को पूरी सावधानी से उतारना पड़ता है क्योंकि सैंपल लेते समय पीपीई किट के बाहर की ओर वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। जाने अनजाने में पीपीई किट उतारते समय यदि अंदर कपड़ों से किट का बाहरी भाग टच हो जाए तो संक्रमित होने के ज्यादा चांस होते हैं। साथ ही उतारने के बाद किट को सावधानी से नष्ट भी करना होता है। रिश्ते पीछे छोड़कर निभा रहे फर्ज वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच ऐसे चेहरे सामने आ रहे हैं। जिनसे कोरोना के खिलाफ जंग जीतने में काफी लोगों का हौसला बढ़ रहा है। ऐसे ही योद्धा के रूप में कोविड सैंपलिंग कक्ष में वार्ड ब्वाय धर्मेंद्र सिंह काम कर रहे हैं। धर्मेंद्र का कहना है कि 14 मई को उनके छोटे भाई की शादी थी। लेकिन अपने फर्ज के आगे रिश्ते को पीछे छोड़ दिया। शादी में शरीक नहीं हो पाए। पिछले 6 माह से घर भी नहीं गए। समय मिलने पर माता-पिता से वीडियो कॉल पर बात कर लेते हैं। उनके घरवाले इस संकट की घड़ी में तत्परता से लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं। धर्मेंद्र का कहना है कि वह कोरोना महामारी के समाप्त होने के बाद ही अपने गांव जाएंगे। रिपो्टर- सत्येन्द्र सिंह

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