EPaper SignIn

वसुंधरा राजे को रोकने मे जुटी भाजपा की प्रदेश इकाई
  • 151132507 - HATIM 0



जस्थान में एक तरफ जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी संग्राम ऊपरी तरफ तो शांत हो गया, लेकिन दोनों के बीच खींचतान जारी है। वहीं भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश में सक्रिय होने की तैयारी कर रही है, लेकिन पार्टी की प्रदेश इकाई उन्हे रोकने में जुटी है। भाजपा की प्रदेश इकाई चाहती है कि वसुंधरा राजे राज्य में सक्रिय होने के बजाय केंद्र में ही अपनी भूमिका निभाएं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, संगठन महासचिव चंद्रशेखर, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया व उप नेता राजेंद्र राठौड़ वसुंधरा राजे को रोकने में जुटे हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का इन्हे समर्थन प्राप्त है। ये सभी नेता वसुंधरा राजे को राज्य में सक्रिय होने से रोक रहे हैं। इन सभी नेताओं ने पार्टी आलाकमान तक संदेश पहुंचाया है किअब वसुंधरा राजे को प्रदेश की राजनीतिक से दूर रखा जाना चाहिए। इसी बीच वसुंधरा राजे दो दिन पहले जयपुर से दिल्ली गई। वहां उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और संगठन महासचिव बी.एल.संतोष से मुलाकात की। वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात का समय मांगा है। जानकारी के अनुसार वसुंधरा राजे अगले कुछ दिनों तक दिल्ली में रहकर भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर अपना पक्ष मजबूत करने का प्रयास करेंगी । दरअसल,वसुंधरा राजे ने पिछले दिनों राज्य के सभी जिलों की यात्रा का कार्यक्रम बनाया था । लेकिन पार्टी की प्रदेशइकाई ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई। प्रदेश इकाई ने आलाकमान तक अपनी आपत्ति पहुंचाई तो राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी.सतीश ने वसुंधरा राजे को अपनी यात्रा टालने के लिए कहा। वसुंधरा राजे ने वी.सतीश की बात मान तो ली,लेकिन वे इससे खुश नहीं है। इसी बात को लेकर उन्होंने नड्डा व संतोष से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार भाजपा की प्रदेश इकाई के नेताओं ने आलाकमान तक यह बात भी पहुंचाई है कि अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट खेमे द्वारा किये गए विद्रोह के समय वसुंधरा राजे की भूमिका सही नहीं थी। उस दौरान भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने अपने विधायकों को गुजरात भेजने का निर्णय किया तो वसुंधरा राजे के समर्थकों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। इसी तरह गहलोत सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का विचार किया गया तो पार्टी के कुछ विधायक अचानक सदन छोड़कर चले गए । इस कारण पार्टी को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी और गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के विचार को छोड़ना पड़ा। सदन छोड़कर जाने वाले विधायक भी वसुंधरा राजे के समर्थक बताये जाते हैं। इस तरह प्रदेश नेतृत्व का आरोप है कि वसुंधरा राजे ने अप्रत्यक्ष रूप से गहलोत की मदद की थी। सुनेल से हातिम की रिपोर्ट 151132507

Subscriber

173790

No. of Visitors

FastMail

नई दिल्ली - केजरीवाल टिप्पणी मामले में विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजनयिक को किया तलब     नई दिल्ली - जेल से नहीं चलेगी दिल्ली सरकार, एलजी वीके सक्सेना ने कह दी बड़ी बात